कान का रोग क्या है ? यह कैसे होता है इसके कौन कौन से प्रकार है ?
कान मानव शरीर का एक मुख्य अंग है।कान मानव शरीर मे सुनने का काम करता है। कान के बिना मनुष्य सुन नही सकता। कान सभी बातो को सुनकर मानव के मस्तिष्क तक भेजना है। जिससे मनुष्य उन बातो को सुन पाता है। और समझ पाता है। कान मानव शरीर के आंतरिक संतुलन को बनाए रखता है। कान के तीन भाग होते है।बाहरी कान ,मध्य कान ,आंतरिक कान। कान के किसी भी भाग मे चोट लगने या कुछ संक्रमण होने पर मानव की सुनने की शक्ति प्रभवित होती है। कुछ लोगो मे कान की बीमारी जन्मजात होती है। कान की इस बीमारी को अनुवांशिक बीमारी कहा जाता है। लेकिन किसी व्यक्ति को कभी-कभी कान के बीमारी हो जाती है। कुछ लोगो को कम सुनने के बीमारी बढ़ती उम्र के साथ हो जाती है। कान के कुछ रोग ऐसे होते है। जिनके कारण या तो व्यक्ति बहरा हो जाता है। या उसको कम सुनने लगता है छोटे बच्चो मे कान का रोग बैक्टीरिया और वायरस के कारण होता है। जिसके कारण कान मे दर्द होने लगता है। बच्चो को बुखार हो जाता है। और सुनने की समस्या हो जाती है। और कभी-कभी कान से तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है कई बार कान मै मैल जम जाता है। तो उससे भी सुनने के समस्या हो जाती है कई बार किसी व्यक्ति का कान का पर्दा फट जाता है। तो वह व्यक्ति बहरा भी हो जाता है।
कान के रोग के लक्षण क्या – क्या हैं?
कान के रोग हो जाने पर अनेक लक्षण दिखाई देते है जो निम्नलिखित है:-
- कान मे दर्द होने लगता है।
- कान का रोग होने पर व्यक्ति को सुनाई न देना।
- कान का रोग हो जाने पर रोगी को नींद नही आती है।
- रोगी को नींद न आने से सिर मे दर्द होना।
- कान से तरल पदार्थ बाहर निकलना।
- भूख न लगना।
- उलटी आना।
- कान मे खुजली होना।
- कानो मे बिना वजह आवाज गूंजना।
- चक्कर आना।
- कभी – कभी कान से खून बहना।
- आँख की पुतली घूमना।
- आनुवांशिकता।
कान के रोग कितने प्रकार के होते हैं?
कान के रोग अनेक प्रकार के होते है । ये रोग अनेक कारणों से होते है। कान के कुछ रोग वंशानुगत होते है। कुछ रोग ऐसे होते है। जो बहुत जल्दी ठीक हो जाते है। कुछ रोग इस प्रकार के होते है। जो इलाज के बाद भी बहुत दिनो मे ठीक हो जाते है। कान के बहुत से ऐसे रोग जो कान को बहुत प्रभावित करते है। वैज्ञानिक तरीके से कान को तीन भागों मे बांटा गया है।
मानव शरीर मे कान के रोग कुछ इस प्रकार के होते है:-
बाहरी कान के रोग:
बाहरी कान के रोग वे रोग होते है। जिसके कारण कान का बाहरी हिस्सा प्रभावित होता है। कान के बाहरी रोग कुछ इस प्रकार से है। जैसे-
- कान पर चोट लगना:
कई बार किसी व्यक्ति को कान पर चोट लग जाती है जिससे कान मे दर्द होने लगता है कई बार कान सूज जाता है। और कान मे जलन या खुजली होने लगती है कई बार किसी हादसे के कारण कान की नली पर भी चोट लग जाती है। और कान नली कट भी जाती है। - ओटाइटिस एक्स्टर्ना:
यह रोग तब होता है जब किसी कारण से कान मे संक्रमण होता है या किसी प्रकार के जलन होती है यह रोग होने पर कान मे पानी भर जाता है कान मे जलन होती है कान मे दर्द होने लगता है। - कान मे फंगल इंफेक्शन:
कई बार कान मे फंगस कान की नली मे प्रवेश करता है जिसके कारण कान मे संक्रमण हो जाता है। यह ज्यादतर उन व्यक्तियों को होता है जिनके कान गीले रहते है जिसके कारण कान मे दर्द होने लगता है। - कान मे मैल या वेक्स का जमना:
अगर कोई भी व्यक्ति अपने कानो को नियमित रूप से साफ नही करता है। तो कुछ समय बाद उसके कानो मे एक मोम जैसी परत जैम जाती है। जिससे उस व्यक्ति को कम सुनाई देने लगता है मैल जमने से उस व्यक्ति के परदे तक आवाज नही पहुंच पाती है। व्यक्ति को कान मे दर्द होने लगता है।
मध्य कान के रोग:
मध्य कान के रोग कुछ लोगो मे अनुवांशिकता से ही होते है। जिससे व्यक्ति जन्म से ही बहरा होता है। मध्य कान के रोग कान के परदे पर चोट लगने ,या कान का परदा फटने या उसमे छेद होने या कान मे संक्रमण होने से मध्य कान का रोग हो जाता है। मध्य कान के रोग कुछ इस प्रकार के है। जैसे –
- बहरापन:
कुछ लोगो मे बहरेपन की समस्या जन्म से ही होती है। जिसके कारण उनको कुछ सुनाई नही देता है। कान के बहरेपन का रोग कान पर चोट लगने या कान का परदा फटने पर होता है। - ग्लू ईय:
कई बार बच्चो के कान मे दर्द होने पर एक तरल और चिपचिपा पदार्थ कान मे जमा हो जाता है। जिसके कारण सुनने की प्रक्रिया कम हो जाती है। इस रोग से परदे और कान की हड्डियों के बीच आवाज का संचरण बंद हो जाता है। यह रोग जब गंभीर रूप ले लेता है। तब इसकी सर्जरी करवाने की आवश्यकता होती है। - ओटाइटिस मीडिया:
ओटाइटिस मीडिया रोग कान मे संक्रमण से होता है। कान में संक्रमण होने पर कान मे एक तरल पदार्थ भर जाता है। जिससे व्यक्ति को सुनने मे कठिनाई होती है। कान मे दर्द रहता है व्यक्ति को बुखार हो जाता है। यह रोग बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से होता है। - कान का परदा फटना:
कान का परदा फटना यह एक प्रकार का गंभीर रोग है। जिसके कारण व्यक्ति बहरा भी हो सकता है। कान का परदा किसी गंभीर चोट लगने से भी फट सकता है। कई बार किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है। तो उसका कान का परदा फट जाता है। जिसके कारण व्यक्ति बहरा हो सकता है कई बार कुछ व्यक्ति कान मे खुजली हो जाने पर कान मे कोई नुकीली वस्तु डाल देते है। जिसके कारण कान का परदा फट सकता है।
आंतरिक कान के रोग:
कुछ रोग ऐसे होते है। जो कान के आंतरिक हिस्से को प्रभवित करते है। कान का आंतरिक हिस्सा ही व्यक्ति के आवाज को दिमाक तक पहुंचाता है। जिससे मानव दिमाक सोचने और समझने का कार्य करता है। आंतरिक कान के रोग कुछ इस प्रकार के है। जैसे_
- सेंसरिन्यूरल बहरापन:
यह कान का वह रोग है। जिसके कारण व्यक्ति बहरा भी हो सकता है। यह रोग कान की आंतरिक तंत्रिकाओं को नुकसान होने पर होता है। यह रोग ज्यादातर लोगो मे उम्र बढ़ने के कारण होता है। यह रोग असहनीय ध्वनि तरंगो से भी होता है। - टिनिटस रोग:
यह रोग तब होता है। जब या तो व्यक्ति तनाव मे होता है। या फिर उसको ज्यादा गंभीर चोट लगी हो जिसके कारण व्यक्ति को सुनने मे कठिनाई होती है। रोगी के कान मे सिटी बजने जैसी आवाज सुनाई देती है कभी-कभार रोगी को बिना काम आवाज सुनाई देती है। - मेनियर्स रोग:
मेनियर्स रोग मे रोगी को अचानक बुखार हो जाता है। चक्कर आने लगते है। सुनने मे कमी होती है। और कान मे घंटी बजने लगती है। - वेस्टिबुलर न्यूरोनाइटिस:
वेस्टिबुलर न्यूरोनाइटिस रोग कान का आंतरिक संक्रमणकारी रोग है। जो व्यक्ति को चक्कर आने पर होता है। व्यक्ति को उल्टी आती है। और शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। यह रोग वायरस के कारण होता है।
कान के रोगों के क्या क्या कारण है ?
कान का रोगो के बहुत से कारणों से हो जाते है। कान का रोग संक्रमण के कारण भी हो जाता है। कई बार संक्रमण किसी अन्य बीमारी जैसे सर्दी,फ्लू या किसी व्यक्ति को एलर्जी के कारण भी हो सकता है। संक्रमण के कारण छोटे बच्चो को कान का रोग बहुत ज्यादा होता है। कान का रोग हो जाने पर रोगी को सबसे पहले सुनने की कठिनाई होती है। कान के रोग के कई व्यक्तियों मे आनुवांशिक कारण भी हो सकते है।
कान के रोगों के कारण निम्नलिखित है:-
- संक्रमण के कारण:
कान का रोग सबसे ज्यादा संक्रमण के कारण होता है। संक्रमण सबसे ज्यादा वायरस और फंगस के कारण होता है। जिसके कारण कान मे खुजली ,दर्द होता व्यक्ति को सुनने मे कठिनाई होती है। और रोगी का कान सूज जाता है। - आनुवांशिकता के कारण:
कुछ लोगो मे कान के रोग आनुवांशिक होते है। जो माँ -बाप से बच्चो मे चले जाते है। उन लोगो को सुनने मे कठिनाई होती है। या वे जन्म से ही बहरे होते है। - अधिक शोर के संपर्क मे रहने के कारण:
असहनीय ध्वनि तरंगो के कारण भी व्यक्ति को कान का रोग हो जाता है। अधिक शोर के कारण कान की कोशिकाए को नुकसान पहुँचता है। जिसके कारण व्यक्ति को सुनने की समस्या हो जाती है। - कान की सफाई की कमी के कारण:
कोई भी व्यक्ति अगर कान की सफाई नही करता है। तो उसको सुनने की समस्या हो जाती है। अधिक दिनो तक कान की सफाई न करने से कान मे एक मोम जैसी मैल की एक परत जैम जाती है। जिसके कारण व्यक्ति को कम सुनाई देने लगता है। - कान पर चोट लगने के कारण:
कई बार किसी व्यक्ति को किसी हादसे के कारण चोट लग जाती है। तो उसको सुनने की समस्या हो जाती है। कान पर गंभीर चोट लगने से कान का परदा भी फट सकता है। या कान की कोशिकाओं को नुकसान हो जाता है। कान मे गहरी चोट लगने पर या कान मे किसी नुकीली वस्तु के घुसने के कारण भी व्यक्ति को कान का रोग हो सकता है। - उम्र बढ़ने के कारण:
बढ़ती उम्र के कारण भी कुछ लोगो को सुनने की समस्या हो जाती है। उम्र बढ़ने पर ज्यादतर लोगो को यह समस्या हो जाती है। - सिर पर चोट लगने के कारण:
बहुत से लोगो को सिर मे चोट लगने के कारण कान की कोशिकाए प्रभावित होती है। कान की आंतरिक प्रणाली को नुकसान होता है। सिर मे चोट लगने से कान मे से खून बहने लगता है। जिसके कारण संक्रमण होने के सम्भवना हो जाती है।
कान के रोगो का उपचार कैसे किया जाता है ?
कान के रोग अनेक प्रकार के होते है। और अनेक कारणों से होते है। कान के रोगो का उपचार करवाना बहुत जरुरी है। कान रोग हो जाने पर व्यक्ति को कम सुनने लगता है। कान का कोई भी रोग हो जाने पर तुरंत उसका उपचार करवाना जरूरी है।
कान के रोगो का उपचार निम्न प्रकार से किया जाता है:-
- संक्रमण होने पर कान का उपचार:
संक्रमण होने पर कुछ घरेलू तरीको से भी इस रोग का उपचार किया जाता है। बाहरी कान मे संक्रमण हो जाने पर कान मे एंटीबायोटिक दवाई का प्रयोग किया जाता है। जिससे कान के बैक्टीरिया खत्म हो जाते है। कान के दर्द मे राहत मिलती है। - कान मे मैल या वेक्स जम जाने पर:
समय-समय पर कान की सफाई न करने से कान के अंदर मोम जैसी एक परत जम जाती है। इस परत को हटाने के लिए इसको धीरे-धीरे साफ किया जाता है। डॉक्टर इसके लिए एक उपकरण का प्रयोग करता है। कान की सफाई करने के लिए किसी नुकीली वस्तु का उपयोग न करें। - कान का परदा फटने पर उपचार:
कान का परदा फटना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। कान का परदा फटने पर रोगी को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए अगर आप के कान मे एक बड़ा छेद है। तो डॉक्टर उसको ईयरड्रम पैच की मदद से ठीक कर देता है। - टिनिटस का उपचार:
कान के इस रोग का डॉक्टर द्वारा इलाज किया जाता है। डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइओ का नियमित प्रयोग करना चाहिए। - सुनाई कम देना:
सुनाई कम देने का रोग ज्यादातर लोगो की उम्र बढ़ने के कारण होता है। सुनने की मदद के लिए हियरिंग ऐड का प्रयोग किया जाता है। या कई बार इसकी सर्जरी भी करवानी पड़ती है। कानो को नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष:-
कान का रोग एक बहुत ही गंभीर रोग है। अगर किसी व्यक्ति को कान का रोग हो जाता है। तो उसका तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए कान रोग हो जाने पर व्यक्ति को कम सुनाई देता है। कई बार किसी व्यक्ति को चोट लगने पर कान के परदे की हानि हो सकती है। किसी भी नुकली वस्तु से कान की सफाई नही करनी चाहिए समय समय पर अपने कानो की सफाई करवा लेनी चाहिए।