ब्रेन कैंसर क्या है ? ब्रेन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?
कैंसर क्या है ?
कैंसर एक बहुत ही भयानक बीमारी है यह अनेक बीमारियों का समूह है। कैंसर किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। कैंसर एक अलग प्रकार की बीमारी है। यह यह लिंग के आधार पर अलग अलग हो सकती है। इस रोग के अलग अलग प्रकार के अलग लक्षण होते है। कैंसर रोग तब होता है जब कोशिका की गति को नियंत्रित करने वाले जीन बदलते है। और अनेक असमान्य कोशिकाएं बनाते है जिसके कारण मनुष्य के शरीर मे काम करने के तरीके मे रुकावट पैदा करते हैं।जिससे मनुष्य के शरीर मे कैंसर की शुरुआत होती है। कई कारणो मे कैंसर को आनुवंशिक बताया गया है
ब्रेन कैंसर क्या है ?
कैंसर रोग जब किसी व्यक्ति के दिमागी हिस्से मे होता है उसे ब्रेन कैंसर कहा जाता है। ब्रेन कैंसर को ब्रेन ट्यूमर भी कहा जाता है ब्रेन कैंसर होने पर मनुष्य के ब्रेन मे एक ट्यूमर बन जाता है जो धीरे-धीरे मनुष्य के शरीर मे फैलने लगता है। जो कैंसर मनुष्य के ब्रेन से शुरू होता है। उसको प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। ब्रेन कैंसर ट्यूमर ब्रेन पर अधिक दबाव डालता है।जिसके कारण मनुष्य को अनेक समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
ब्रेन कैंसर कितने का प्रकार का होता है ?
ब्रेन कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है
प्राथमिक ब्रेन कैंसर
ग्लियोमा
ग्लियोमा कैंसर का वह प्रकार है। जो ब्रेन की ग्लियल कोशिकाओं में होता है। यह ट्यूमर धीमी गति से बढ़ने वाला होता है। और फिर बाद मे यह एक गंभीर रूप धारण कर लेता है।यह कैंसर ब्रेन और मनुष्य की रीढ़ की हड्डी की नलिकालियो मे पाया जाता है।
मेनिंजियोमा
मेनिंजियोमा कैंसर महिलाओं मे अधिकतर होता है। यह कैंसर धीमी गति से बढ़ता है। मेनिंजियोमा ब्रेन और रीढ़ की हड्डी की एक एक परत होती है। इस परत के कैंसर को मेनिंजियोमा ब्रेन कैंसर कहा जाता है। यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है।
मेडुलोब्लास्टोमा
मेडुलोब्लास्टोमा मनुष्य के ब्रेन के सेरिबेलम मे पैदा होने वाला एक ब्रेन कैंसर है। यह कैंसर बच्चो मे ज्यादातर होता है।
स्वैन्नोमा कैंसर
स्वैन्नोमा कैंसर तंत्रिकाओं के चारों और की कोशिकाओं मे पैदा होता है। यह कैंसर कान से ब्रेन को जोड़ने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग हो जाने पर रोगी को कम सुनने लगता है। यह कैंसर बहुत धीमी गति से होता है।
माध्यमिक ब्रेन कैंसर
यह एक प्रकार का ऐसा रोग है जो मनुष्य के शरीर मे अन्य भागों मे होने से ,मनुष्य के ब्रेन मे फैल जाता है। जैसे – फेफड़ों का कैंसर ,स्तन कैंसर,गुर्दे का कैंसर,त्वचा का कैंसर। इस प्रकार के कैंसर रोग हो जाने से भी ब्रेन कैंसर होने का खतरा रहता है।
ब्रेन कैंसर होने पर क्या -क्या लक्षण दिखाई देते है ?
सिर दर्द होना
ब्रेन कैंसर होने के कारण रोगी के सिर मे दर्द होने लगता है। जब ट्यूमर बढ़ने लगता है। मनुष्य के सिर की नसों पर दबाव होता है। जिससे रोगी को सिर दर्द होने लगता है। सुबह के समय सिर दर्द होता है और जब रोगी सोकर उठता है तो बहुत ज्यादा सिर दर्द होता है। सिर दर्द होने पर रोगी को चक्कर आने लगते है। और रोगी को दवा से भी आराम नहीं मिलता है।
आखों की समस्या
ब्रेन कैंसर होने पर रोगी को आखों की समस्या हो जाती है। आखों की जो नसें ब्रेन तक जाती है। ट्यूमर बढ़ने के कारण रोगी की उन नसों पर बहुत असर होता है। जिसके कारण रोग को धुंधलापन, दोहरी दृष्टि जैसी समस्या पैदा हो जाती है। कभी कभी रोगी को कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
दौरे पड़ना
ब्रेन कैंसर हो जाने पर रोगी को दौरे पड़ने लगते है रोगी को दौरे पड़ने का कारण है ट्यूमर का बढ़ जाना ,ट्यूमर बढ़ने पर यह न्यूरॉन्स तंत्रिका को प्रभवित करता है।
व्यवहार में परिवर्तन
ब्रेन कैंसर होने पर रोगी चिड़चिड़ा और उदास रहता है। ब्रेन कैंसर होने पर ,कैंसर ब्रेन के उन भागो को प्रभावित करता है जो मनुष्य के ब्रेन मे सोचने ,समझने और भावनाओ को कंट्रोल करने का काम करते है। रोगी के यह लक्षण धीरे -धीरे बढ़ने लगते है।
स्मरणशक्ति में कमी
ब्रेन कैंसर हो जाने पर रोगी की स्मरणशक्ति कम हो जाती है। रोगी को यह समस्या तब पैदा होती है। जब व्यक्ति के ब्रेन के फ्रंटल या टेम्पोरल लोब ट्यूमर के द्वारा बहुत ज्यादा प्रभावित होते है। ऐसी स्थिति मे रोगी को कुछ भी याद नहीं रहता है।
मांसपेशियों में कमजोरी होना
ब्रेन कैंसर होने पर रोगी कमजोर हो जाता है। ट्यूमर ब्रेन के उस हिस्से पर प्रभाव डालती है ,जो मांसपेशियों को नियंत्रित करता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में कमजोरी या लकवा भी हो सकता है।
सुनने की समस्या
ब्रेन कैंसर होने से रोगी को बहुत काम सुनाई देने लगता है। ट्यूमर ब्रेन के होने से कानो को ब्रेन से मिलाने वाली कोशिकाए बहुत प्रभावित होती है। जिससे रोगी को सुनने की समस्या पैदा हो जाती है।
थकान होना
ब्रेन कैंसर होने पर रोगी को बहुत थकावट महसूस होती है। रोगी पूरा दिन थका-थका सा रहता है। रोगी को पुरे दिन शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट रहती है।
ब्रेन कैंसर किन किन कारणों से होता है ?
ब्रेन कैंसर होने के अनेक कारण है। ब्रेन कैंसर अनुवांशिक परिवर्तनों,रेडिएशन,रासायनिक एक्सपोज़र, स्मोकिंग ,वायरल संक्रमण व्यक्ति की उम्र का बढ़ना आदि अनेक कारणो से होता है।
उम्र का बढ़ना
ब्रेन कैंसर उम्र बढ़ने के कारण भी होता है। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ब्रेन कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। ब्रेन कैंसर किसी भी उम्र मे किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।
आनुवांशिकता के कारण
ब्रेन कैंसर आनुवांशिकता के कारण भी होता है। कई लोगो मे जन्म से ही कुछ अनुवांशिक परिवर्तन होते है जिसके कारण उनके ब्रेन की कोशिकाए अचनाक से बढ़ने लगती है। जिससे कारण ब्रेन कैंसर हो सकता है।
रेडिएशन के कारण
रेडिएशन भी ब्रेन कैंसर का एक मुख्य कारण है। ब्रेन कैंसर जब होता है। जब किसी व्यक्ति ने अपने शरीर के लिए पहले कोई कैंसर इलाज करवाया हो,जैसे हाई-एनर्जी रेडिएश – एक्स-रे और गामा किरणें ये किरणे ब्रेन कैंसर होने का खतरा बढ़ा देती है।
रासायनिक एक्सपोज़र के कारण
बहुत से लोगो को रासायनिक एक्सपोज़र के कारण भी ब्रेन कैंसर होने का खतरा रहता है। जैसे बहुत से लोग फैक्ट्रयों और उद्योगों में काम करते है। जहां पर हानिकारक रसायनों का प्रयोग होता है। अधिकतर रूप से पेट्रोलियम, प्लास्टिक और रबर उद्योगों में काम करने वाले लोगों को ब्रेन कैंसर सकता है।
स्मोकिंग और अल्कोहल के प्रयोग के कारण
बहुत से लोगो को ब्रेन कैंसर स्मोकिंग और अल्कोहल के प्रयोग के कारण भी होता है। बहुत से लोग जो धूम्रपान करते है। उनको फेफड़ों और गले का कैंसर रोग हो जाता है जिसके कारण धीरे-धीरे कैंसर रोग उनके ब्रेन तक पहुंच जाता है और ब्रेन कैंसर हो जाता है
ब्रेन कैंसर का इलाज किस प्रकार से किया जाता है ?
ब्रेन कैंसर का इलाज किसी विशेषज्ञ के द्वारा रोगी की उम्र और कैंसर के प्रकार के आधार पर किया जाता है। बहुत बार कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा उपचार के द्वारा किया जाता है।
सर्जरी द्वारा उपचार
ब्रेन कैंसर होने पर इसका इलाज सर्जरी के द्वारा किया जाता है। सर्जरी के द्वारा ब्रेन ट्यूमर को हटाया जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर को हटाने के लिए क्रैनियोटॉमी की सहायता से खोपड़ी का एक हिस्सा हटाया जाता है ताकि डॉक्टर ट्यूमर को आसानी निकल लें।
रेडियोथेरेपी के द्वारा उपचार
रेडियोथेरेपी के उपचार मे बहुत तेज रेडिएशन का प्रयोग किया जाता है। जिससे ट्यूमर कोशिकाए नष्ट हो जाती है। उनका पूरी तरह से विकास रुक जाता है। यह विकिरण ब्रेन में सीधे ट्यूमर पर केंद्रित होता है।
कीमोथेरेपी के द्वारा उपचार
कीमोथेरेपी में रोगी के द्वारा दवाइयों का प्रयोग किया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है। और उनके बढ़ने को रोकती है।
इम्यूनोथेरेपी के द्वारा उपचार
बहुत से लोगो का उपचार इम्यूनोथेरेपी से भी किया जाता है। इस के द्वारा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मनुष्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली
कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने मे सहायता करती है।