My Blog https://desinuskha.com/ My WordPress Blog Tue, 29 Oct 2024 07:02:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 पेट दर्द क्या है ? पेट दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ? https://desinuskha.com/pet-dard-kya-hai/ https://desinuskha.com/pet-dard-kya-hai/#respond Mon, 28 Oct 2024 08:58:12 +0000 https://desinuskha.com/?p=1066 पेट दर्द क्या है ? पेट दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ? पेट शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आजकल पेट में दर्द होना आम समस्या बन गई है। क्योंकि लोगों की जीवन शैली इतनी अनियमित हो गई है। इसका सीधा असर उनके पाचन तंत्र पर पड़ता है। ज्यादा देर तक बैठ कर […]

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पेट दर्द क्या है ? पेट दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ?

पेट शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आजकल पेट में दर्द होना आम समस्या बन गई है। क्योंकि लोगों की जीवन शैली इतनी अनियमित हो गई है। इसका सीधा असर उनके पाचन तंत्र पर पड़ता है। ज्यादा देर तक बैठ कर काम करना,जंक फ़ूड ज्यादा खाना से भी हमारे शरीर में अनेक बीमारी जन्म ले लेती है। पर्याप्त मात्रा में नींद न लेने से भी जैसे समस्याओं के कारण सामान्य तौर पर बदहजमी या पेट से संबंधी समस्याएं होती है जिसके कारण पेट में दर्द होने लगता है। आंतरिक समस्याएं पेट से जुड़ी होती है। पेट खाना ग्रहण कर उससे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। खान-पान में गड़बड़ी या दूसरी कारणों से पेट में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं, पेट में दर्द होना भी उन्हीं में से एक है।

पेट दर्द होने के लक्षण:

पेट में दर्द के कई लक्षण होते हैं-
1. कभी-कभी पेशाब करते समय दर्द होना।
2. जलन
3. पेट में गुड़गुड़ाहट होना।
4.खट्टी डकार आना।
5.उल्टी होना।
6. पेट फूलना।
7. पेट में अत्यधिक गैस बनना।
8. मल के साथ खून आना।
9. सांस लेने में तकलीफ होना।
10. पेट में भारीपन महसूस होना।
11. पेट में सुई चुभने जैसा दर्द होना।
12.रुक -रुक कर पेट में दर्द होना।
13. पेट छूने पर मुलायम महसूस होना।
14. कुछ मामलों में उल्टी के साथ खून आना।
15. पेट दर्द आमतौर पर आता-जाता रहता है।
16. पेट दर्द के साथ दस्त या उल्टी हो सकती है।

पेट दर्द होने के कारण:

पेट दर्द के अनेक कारण है-

1.मासिक धर्म के दौरान ऐंठन।
2.खाना हजम नहीं होना।
3.पित्त की पथरी।
4.कब्ज की शिकयत।
5.पित्ताशय की पथरी पित्त में बहुत ज़्यादा बिलीरुबिन या कोलेस्ट्रॉल होने या पित्त लवणों की कमी होने पर पित्त की पथरी बन सकती है।
6. हर्निया।
7. पित्त की पथरी।
8. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन।
9. पेल्विक क्षेत्र की सूजन की बीमारी।
10.रात का बचा बासा खाना खाने से।
11. ज्यादा भोजन करने से।
12. बाहर का खाना जैसे पिज्जा, बर्गर, आइसक्रीम, समौसा आदि ज्यादा खाने से।
13. खाली पेट अधिक समय तक काम करने से।
14. खाना खाने के बाद ज्यादा तेज दौड़ने से।

पेट दर्द होने पर जीवनशैली में कैसा बदलाव लाना चाहिए:

पेट दर्द होने पर आपको अपने जीवन में अनेक बदलाव लाना चाहिए। क्योंकि इससे दर्द को कम करने में काफी मदद मिलती है। पेट में दर्द होने पर आप अपनी जीवनशैली में बदलाव ला सकते है-
1. चाय या कॉफी का सेवन न करें।
2. हल्का खाना जैसे की खिचड़ी और दलिया आदि खाएं।
3. रोजाना सुबह और शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम करें।
4. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
5. खाना खाने के तुरंत बाद लेटने से बचें।
6. खाना खाने के बाद कुछ समय तक टहलें।
7. रात में भारी खाना न खाएं।
8. तैलीय और मसालेदार चीजें न खाएं।
9. फास्ट फूड्स का सेवन न करें।
10. शराब और सिगरेट से दूर रहें।

पेट दर्द में क्या नहीं खाना चाहिए:

आज के समय में पेट दर्द की समस्या सबसे ज्यादा यह है बहार का खाना खाने से बचना चाहिए-
1. मसालेदार सब्जियां खाने से बचे।
2. खट्टे फल है सेवन करने से बचे।
3. टमाटर से बने खाद्य पदार्थ।
4. तम्बाकू और गुटखा।
5. शराब और सिगरेट।
6. दूध और पनीर।
7. मसालेदार, तला-भुना, और जंक फ़ूड।
8. कच्ची सब्ज़ियां।
पेट में दर्द होने पर ऊपर दिए गए खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये पेट दर्द को बढ़ाकर दूसरी अनेक समस्या पैदा कर सकते हैं।

पेट दर्द का घरेलू उपचार/इलाज:

पेट दर्द का घरेलू उपचार किया जा सकता है। अगर पेट में दर्द का कारण कब्ज,बदहजमी या कोई आम समस्या है। तो कुछ खास घरेलू नुस्खों से इसका उपचार किया जा सकता है। पेट में दर्द का उपचार घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है पेट दर्द का घरेलू उपचार-
1. दालचीनी कई बार हमारे पेट में ऐंठन हो जाती है। दालचीनी के प्रयोग से पेट दर्द में मदद मिलती है।
2. ज्यादा बैठने से हमारे पेट में सूजन हो जाती है। दालचीनी के प्रयोग से पेट की सूजन कम हो जाती है। और दर्द में राहत मिलती है।
3. एलोवेरा जूस।
4. जड़ी-बूटियां, अदरक,पुदीना,धनिया का इस्तेमाल करने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
5. पानी पीना हाइड्रेटेड रहना पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। गर्म पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पीना भी फ़ायदेमंद होता है।
6. सौंफ पानी में एक चम्मच सौंफ उबालकर ठंडा होने के पास उसे छानकर पीएं।
7. हींग एक गिलास हल्का गर्म पानी में एक चुटकी हींग मिलकर उसका सेवन करें।
8.पुदीना की चाय बनाकर दिन भर में 2-4 कप उस चाय का सेवन करें।
9. अदरक पानी में अदरक डालकर उसे उबालना और फिर उसे छानने के बाद, पानी में शहद मिलाकर उसका सेवन करें।
10. सेब का सिरका एक कप हल्का गर्म पानी में सेब का सिरका और शहद मिलाकर उसे अच्छी तरह मिक्स करें और फिर उसका सेवन करें।
11. कैमोमाइल पानी में कैमोमाइल डालकर उसे अच्छी तरह उबालें और उसे छान लें फिर अपने स्वाद मुताबिक निम्बू का रस और शहद मिलाकर उसका सेवन करें।
12. बेकिंग सोडा एक गिलास हल्का गर्म पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा और एक चम्मच निम्बू का रस एवं आधा चम्मच नमक को अच्छी तरह मिलाकर उसका सेवन करें।
13.इन सबके अलावा, आप दही और चावल के पानी का भी उपयोग कर सकते हैं।
14.लेकिन ध्यान रहे कि पेट दर्द का उपचार करने की नियत से किसी भी प्रकार के घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल या सेवन करने से पहले डॉक्टर से उनकी राय अवश्य लें।

 

 

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महिलाओं में बवासीर क्या है? प्रकार, लक्षण, कारण जानते है। https://desinuskha.com/what-is-hemorrhoids-in-women/ https://desinuskha.com/what-is-hemorrhoids-in-women/#respond Fri, 25 Oct 2024 06:01:41 +0000 https://desinuskha.com/?p=1059 महिलाओं में बवासीर क्या है? प्रकार, लक्षण, कारण जानते है। बवासीर एक आम बीमारी है। जो महिलाओं और पुरषों दोनों में होती है। महिलाओं में बवासीर तब होती है। जब मलाशय या गुदा की नसें सूज जाती है। और उनमें सूजन आ जाती है। जिससे असुविधा और दर्द होता है। गुदा में दर्द, बलगम के […]

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महिलाओं में बवासीर क्या है? प्रकार, लक्षण, कारण जानते है।

बवासीर एक आम बीमारी है। जो महिलाओं और पुरषों दोनों में होती है। महिलाओं में बवासीर तब होती है। जब मलाशय या गुदा की नसें सूज जाती है। और उनमें सूजन आ जाती है। जिससे असुविधा और दर्द होता है। गुदा में दर्द, बलगम के जैसा रिसाव, रक्त हानि, मलाशय क्षेत्र में दबाव की भावना। महिलाओं के लिए ,बवासीर एक विशेष रूप से असुविधाजनक और शर्मनाक स्थितिहो सकती है। जिससे मासिक धर्म, गर्भवस्था के दौरान दर्द और परशानी हो सकती है। इसके अतिरिक्त,बवासीर से जुड़ी कलंक महिलाओं के लिए मदद और सहायता प्राप्त करना मुश्किल बना सकती है। और यहाँ तक की रोका भी जा सकता है। जिससे महिलाएँ भी बेहतर जीवन का आनंद ले सकती है।

महिलाओं में बवासीर के प्रकार:-

महिलाओं में बवासीर को मलाशय क्षेत्र में सूजी हुई नसों के स्थान और गंभीरता के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए बवासीर के विभिन्न प्रकारों को समझना महत्वपूर्ण है। बवासीर के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं_
1. बवासीर दो प्रकार की होती है। खूनी बवासीर और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। यह बवासीर पुरषों और महिलाओं में दोनों में हो सकती है।
2. खुनी बवासीर का एक प्रकार है। जिसमें मल त्याग के दौरान रक्त आता है। बवासीर के अन्य लक्षण ये है।
3. गुदा के आस-पास सूजन या दर्द और परेशानी।
4. बैठने या किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान अचानक दर्द होना।
5. शौच के बाद रक्त हानि।
6. कब्ज भी हो जाती है।
7. गुदा के असा-पास खुजली होना।
8. बवासीर एक गंभीर बीमार है। जो गुदा या मलाशय को प्रभावित करती है। इसमें गुदा या उसके असा-पास के भाग में नसों में सूजन आ जाती है।

महिलाओं में बवासीर के लक्षण:-

महिलाओं में बवासीर के हल्के लक्षण हो सकते है। जो अपने आप ठीक हो जाते है। लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। महिलाओं में बवासीर के कुछ लक्षण इस प्रकार है_
1. गुदा के असा-पास सूजन या दर्दनाक गांठ।
2. अधूरे मल त्याग की भावना बवासीर के कारण होने वाली यह भावना परेशान करने वाली हो सकती है। मल त्याग के बाद भी यह डर बना रहा सकता है।
3. मल त्याग के दौरान दर्द और परेशानी होना।
4. शौच के बाद रक्त आने लगता है कुछ मामलों में बवासीर के कारण मल त्याग के बाद रक्त आना शुरू हो जाता है।
5. बैठने या किसी शरीरिक गतिविधि के दौरान अचानक से दर्द होना।
6. मल में खून आना बवासीर के कारण मल त्याग के दौरान खून आ सकता है। जो मल में या टॉयलेट पेपर पर दिखाई दे सकता है। रक्तस्राव आमतौर पर चमकदार लाल होता है और आमतौर पर गंभीर नहीं होता है।
7. शौच करते समय चिपचिपा तरल पदार्थ का निकलना।
8. सूजन या दर्दनाक गांठें बवासीर गुदा के भाग में सूजी हुई नसें होती है। जो दर्दनाक गांठ या सूजन पैदा कर सकती है। ये गांठें गुदा की अंदर या बाहर हो सकती है। और इनका आकर छोटा या बड़ा हो सकता है।
9. गुदा के असा-पास खुजली।
10. मोटा होना।
11. लगातार दस्त या कब्ज़ रहना।
12. लंबे समय तक बैठे रहना।

महिलाओं में बवासीर के कारण:-

आमतौर पर बवासीर मलाशय और गुदा गुहा के निचले हिस्से में दबाव बढ़ने के कारण होता है। जिससे नसें बाहर निकल जाती है और गांठों में बदल जाता है। महिलाओं में बवासीर के अनेक कारण है_
1. गर्भवस्था के दौरान श्रोणि पर दबाव बढ़ने से बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।
2. मल त्याग करते समय जोर लगाना कब्ज के कारण ऐसा होता है। जोर लगाने के कारण मलाशय और गुदा के निचले हिस्से में नसों पर दबाव बढ़ जाता है इससे नसों में सूजन हो जाती है जिससे बवासीर हो जाती है।
3. कब्ज के कारण मल त्यागने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। जिससे मलाशय और गुदा की नसों पर दबाव पड़ता है। और बवासीर हो सकती है।
4. लंबे समय तक बैठे रहना या खड़े रहना जब हम लंबे समय तक बैठते या खड़े रहते है। तो शरीर के निचले हिस्से में रक्त बहाने लगता है। जिससे नसें सूज जाती है।
5. तनाव से गुदा या मलाशय की नसों पर दबाव पड़ता है। और बवासीर हो जाती है।
6. कम फाइबर वाला आहार और पानी का कम सेवन करने से बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।
7. अधिक वज़न बढ़ना अक्सर गर्भावस्था के दौरान पैल्विक दबाव के कारण महिलाओं में बवासीर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
8. दस्त और जलन भी बवासीर का एक कारण हो सकता है।
9. अनुवांशिकता भी बवासीर का एक कारण हो सकती है।
10. जिन लोगों को रोज़ाना घंटों खड़े रहना पड़ता है। जैसे कि बस कंडक्टर, ट्रैफ़िक पुलिस, जिन्हें भारी वज़न उठाने पड़ते हैं। उनमें बवासीर होने की संभावना ज़्यादा होती है।

महिलाओं में बवासीर के रोकथाम:-

महिलाओं में बवासीर को रोका जा सकता है। जीवनशैली की आदतों को अपना कर रोका जा सकता है। नीचे कुछ उपाय दिए गए है जिनका पालन करके महिलाओं में बवासीर को रोका जा सकता है। ये महिलाओं में मौजूदा बवासीर के इलाज के लिए भी लागू होते हे। इनमें से कुछ इस प्रकार है_
1. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
2. शौचालय पर ज्यादा देर न बैठें और ज्यादा जोर न लगाएं।
3. आपको प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए ऐसा करने से आपको वजन कम करने में मदद मिल सकती है। जो बवासीर का कारण हो सकता है।
4. आपको डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए है। की आपको कौन सा व्यायाम सूट करता है। जैसे गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक मेहनत नहीं करनी होती। और भारी वजन उठाने से मना किया जाता है।
5. स्वस्थ आहार खाने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कब्ज की संभावना कम हो जाती है और बवासीर से बचा जा सकता है।
6.आहार में फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज भरपूर मात्रा में होना चाहिए। अपने आहार में फाइबर युक्त खद्या पदार्थ शामिल करना जरुरी है।
7. तनाव को कम करें।
8. गुदा के असा-पास सफाई रखे और सूखा रखें।
9. ठंडी सिकाई करें।
10. शराब और चाय का सेवन कम करें।
11. लंबे समय तक बैठने से बचें।
12. क्रीम या मलहम का इस्तेमाल करें।

महिलाओं में बवासीर के लिए आहार में परिवर्तन:-

बवासीर से पीड़ित महिलाओं के लिए उच्च फाइबर वाला आहार फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि यह कब्ज को रोकने और नियमित मल त्याग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।आहार फाइबर के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं_
1. सेब, नाशपाती, जामुन और आलूबुखारा जैसे फल ।
2. सब्जियाँ, जिनमें ब्रोकोली, गाजर, पत्तेदार साग, और शकरकंद आदि शामिल हैं।
3. साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओटमील, साबुत गेहूं की रोटी और साबुत अनाज पास्ता विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।
4. फलियां जैसे सेम, दाल और चना फाइबर से भरपूर होते हैं।
5.फाइबर के अलावा, भरपूर मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है। प्रोसेस्ड फूड, तले हुए खाद्य पदार्थ और मसालेदार भोजन से परहेज करने से भी बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। आप बवासीर के लिए आहार के बारे में अधिक जानकारी हिंदी में बेस्ट और वर्स्ट फूड फॉर पाइल्स में पढ़ सकते हैं।

 

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थायराइड क्या है ? महिलाओं में थायराइड के लक्षण क्या होते हैं? https://desinuskha.com/types-of-thyroid-in-women/ https://desinuskha.com/types-of-thyroid-in-women/#respond Wed, 23 Oct 2024 07:50:13 +0000 https://desinuskha.com/?p=721 थायराइड क्या है ? महिलाओं में थायराइड के लक्षण क्या होते हैं? थायराइड हमारे शरीर की एक गले की ग्रंथि है। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर मे एक अंतःस्रावी ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर मे गर्दन के निचले भाग मे, ट्रेकिया के सामने स्थित होती है। थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है। […]

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थायराइड क्या है ? महिलाओं में थायराइड के लक्षण क्या होते हैं?

थायराइड हमारे शरीर की एक गले की ग्रंथि है। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर मे एक अंतःस्रावी ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर मे गर्दन के निचले भाग मे, ट्रेकिया के सामने स्थित होती है। थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है। यह ग्रथि हमारे शरीर मे बहुत से काम करती है। थायराइड ग्रंथि बहुत से हार्मोनो का उत्पादन करती है। थायराइड हार्मोन हमारे शरीर मे सभी प्रकार की गतिविधियों को कन्ट्रोल करता है। थायराइड ग्रंथि मे कुछ समस्या होने के कारण थायराइड रोग हो जाता है।

थायराइड के शरीर मे क्या कार्य है ?

थायराइड शरीर में बहुत से काम करता है। अगर थायराइड हमारे शरीर में काम करना बंद कर दे तो शरीर का सारा संतुलन बिगड़ जाएगा थायराइड के कार्य निम्नलिखित है –
थायराइड ग्रंथि शरीर का संतुलन बनाए रखती है।
थायराइड शरीर मे ऊर्जा का उत्पादन करके उसका उपयोग करता है।
थायराइड शरीर मे दिल की धड़कन ,मांसपेशियों की कार्यप्रणाली और शरीर मे अनेक प्रकार की गतिविधियों को कंट्रोल करती है।
थायराइड ग्रंथि शरीर को अनेक बीमारियों से बचाती है।

थायराइड रोग क्या है ?

जब थायराइड ग्रंथि मे किसी रोग के कारण कोई समस्या पैदा हो जाती है। जब थायराइड ग्रथि ठीक ढंग से काम नहीं करती। यह ग्रंथि थायराइड रोग से ग्रस्त हो जाती है।

महिला मे थायराइड रोग कितने प्रकार का होता है ?

महिला मे थायराइड रोग समान्य रूप से अन्य लोगो जैसा होता है। यह रोग पुरुषो की तुलना मे महिलाओ मे अधिक होता है। यह रोग महिलाओं मे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण होता है।

महिला मे थायराइड रोग दो प्रकार का होता है:-

हाइपरथायरायड:-
हाइपरथायरायड रोग हो जाने पर थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा मे हार्मोन बनाती है। थायराइड ग्रंथि टी3 और टी4 थायराक्सिन हार्मोन बनाती है। जो हार्मोन पाचन तंत्र ह्रदय दर और शरीर के तापमान पर सीधा प्रभाव डालते है। महिलाओं में सबसे आम थायराइड की समस्या है। जब शरीर का हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है जब शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। शरीर का वजन कम होने के कारण शरीर मे कमजोरी आ जाती है। यह रोग हो जाने पर रोगी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ऐसी कुछ समस्या होने को थायराइड की समस्या के नाम से जाना जाता हैं।

हाइपरथायराइड रोग होने पर क्या क्या लक्षण दिखाई देते है?

हाइपरथायरायड रोग होने पर महिलाओ मे बहुत से लक्षण दिखाई देते है:-

  • हाइपरथायराइड रोग होने पर महिलाओ का स्वभाव चिड़-चिड़ा हो जाता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला के बाल झड़ने लगते है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला का चेहरा फूलने लगता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला की त्वचा रूखी और खुरदरी हो जाती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला को कब्ज की बीमारी हो जाती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला के हाथ पैर ठंडे पड़ जाते है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला के शरीर के अंग सूज जाते है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला का दिल धीमी गति से धड़कने लगता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला को भूख बहुत ज्यादा लगती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला को बांझपन की समस्या हो जाती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला का शरीर कमजोर हो जाता है।
  • यह रोग हो जाने पर महिला रोगी का वजन घटने लगता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी महिला को घबराहट होती है और बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है।

हाइपोथायरॉइड:-
हाइपोथायरायड रोग हो जाने पर थायराइड ग्रंथि बहुत ही कम मात्रा मे हार्मोन बनाती है। हमारे शरीर की ज्यादातर सभी कार्य प्रणाली थायराइड ग्रंथि से उत्पादन किये गए हार्मोनो पर काम करती है। हार्मोन न बनने के कारण शरीर के अन्य कामो मे रुकवाट पैदा हो जाती है। यह रोग हो जाने पर रोगी का वजन बढ़ने लगता है। और अधिक मोटापा आ जाता है जिसके कारण रोगी को लगातार थकान ममहसूस होने लगती है।

हाइपोथायरॉइड रोग होने पर क्या क्या लक्षण दिखाई देते है ?

हाइपोथायरॉइड रोग होने पर महिलाओ मे बहुत से लक्षण दिखाई देते है:-

  • यह रोग हो जाने पर रोगी को पसीना बहुत कम आता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी के दिल की धड़कन की गति धीमा हो जाती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी के बाल अधिक झड़ने लगते है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी का वजन बढ़ने लगता है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी को लगातार थकान का महसूस होती है।
  • यह रोग हो जाने पर रोगी को ज्वाइंट पेन और मांसपेशियों मे अकड़न होने लगती है।
  • रोगी को बहुत अधिक डिप्रेशन हो जाता है।
  • रोगी को कब्ज की बीमारी हो जाती है।
  • रोगी को समय पर पीरियड्स नही होते है।
  • रोगी की यादाश्त कमजोर होने लगती है।
  • रोगी की आखों और चेहरे पर सूजन हो जाती है।
  • रोगी के खून मे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है।
  • रोगी को ठंड लगने लगती है।

थायराइड रोग होने के क्या कारण है ?

थायराइड रोग तब होता है जब शरीर में किसी कारण से रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर हो जाती है।

थायराइड रोग बहुत से कारणों से होता है:-

  • जब शरीर मे आयोडीन की कमी हो जाती है ,या फिर आयोडीन की मात्रा जरूरत से अधिक हो जाती है।
  • थायराइड रोग होने का एक आनुवांशिक कारण भी है।
  • थायराइड रोग थायराइड ग्रंथि मे सूजन होने के कारण भी होता है।
  • थायराइड ग्रंथि में कैंसर होने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
  • शरीर मे हार्मोन बदलने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
  • जब शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर होने के कारण भी यह रोग हो जाता है।

थायरॉइड रोग होने पर इसका पता किस प्रकार लगाया जाता है ?

थायरॉइड रोग होने पर इसका पता निम्नलिखित प्रकार से लगाया जाता है:-

  1. शारीरिक जाँच:-
    थायराइड रोग हो जाने पर इसका पता इसके लक्षणों को देखकर लगाया जाता है। थायराइड रोग हो जाने पर गर्दन के नीचे सूजन हो जाती है और थायराइड ग्रंथि सामान्य रूप से बड़ी हो जाती है। जिसके कारण रोगी को खाते पीते समय समस्या हो जाती है और त्वचा खुरदरी हो जाती है।
  2. खून की जाँच:-
    थायराइड रोग का पता करने के लिए कुछ थायराइड हार्मोनो की जाँच करने के लिए खून को टेस्ट किया जाता है खून की इस जाँच से यह पता चल जाता है की हमारे शरीर मे हार्मोनो की मात्रा कम या अधिक है। और थायराइड ग्रंथि मे कुछ गड़बड़ तो है।
  3. इमेजिंग टेस्ट:-
    इस टेस्ट के द्वारा अल्ट्रासाउंड की सहायता से थायराइड ग्रंथि की जाँच की जाती है।
    और यह पता लगाया जाता है की थायराइड ग्रंथि मे किसी प्रकार की कोई परेशानी गांठ ,या अन्य प्रकार की कोई अजीब आकृति तो नही है। एक अन्य जाँच से यह पता लगाया जाता है। की आयोडीन का सही मात्रा में उपयोग हो रहा है यह स्कैन करने पर ही पता चलता है थायराइड ग्रंथि कितनी अच्छी प्रकार से काम कर रही है।इस प्रकार की जाँच से थायराइड के बारे मे पूरी जानकारी मिल जाती है।

थायराइड रोग के लिए घरेलु उपचार क्या है ?

थायराइड रोग हो जाने पर इसका उपचार कुछ घरेलू तरीको से भी किया जाता है:-

  1. आयोडीन:-
    थायराइड रोग होने पर रोगी को आयोडीन का सेवन अधिक मात्रा मे करना चाहिए। आयोडीन मुख्य रूप से प्याज ,लहसुन और टमाटर मे पाया जाता है।
  2. हरा धनिया:-
    थायराइड रोग के इलाज के लिए हरे धनिये को पिसकर इसका एक पेस्ट बना लें। और हर रोज इसको एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे धीरे-धीरे थायराइड की बीमारी मे आराम मिलेगा।
  3. लौकी:-
    थायराइड रोग के मरीज लौकी का जूस भी पी सकते है। थायराइड के रोगी को हर रोज सुबह खली पेट लौकी का जूस पिने से थायराइड रोग में आराम मिलता है।
  4. हल्दी:-
    थायराइड रोग हो जाने पर रोगी को इसके इलाज के लिए रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना पीना चाहिए जिससे थायराइड के रोग मे कुछ हद तक आराम मिलता है।
  5. नारियल का पानी:-
    नारियल का पानी भी थायराइड रोग के इलाज के लिए फायदेमंद होता है। थायराइड के रोगी को नारियल के पानी का कम से कम दो दिन में एक बार सेवन करना चाहिए।
  6. तुलसी:-
    थायराइड रोग के इलाज के लिए तुलसी के पत्तो का भी उपयोग किया जाता है। तुलसी के पत्तो का रस एलोवेरा जूस मे मिलाकर सेवन करने से थायराइड रोग ठीक हो जाता है।
  7. मुलेठी:-
    थायराइड के रोगी को मुलेठी का सेवन करने से भी इस रोग मे आराम मिलता है।
  8. काली मिर्च:-
    थायराइड रोग हो जाने पर रोगी को हर रोज भोजन मे काली मिर्च का भी सेवन करना चाहिए काली मिर्च के सेवन से थायराइड रोग में आराम मिलता है।

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जुकाम क्या है। लक्षण,कारण, बचाव और इलाज के बारे में जानते है? https://desinuskha.com/what-is-a-cold/ https://desinuskha.com/what-is-a-cold/#respond Thu, 17 Oct 2024 10:22:26 +0000 https://desinuskha.com/?p=688 जुकाम क्या है। लक्षण,कारण, बचाव और इलाज के बारे में जानते है? जुकाम के लक्षण नाक बहना गले में खिचखिचाहट होना। और लगातार छींकना-को कोई भी पहचानता है। लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम होता है। जैसे की सर्दी जुकाम सर्दी जुकाम के कारण और सर्दी जुकाम के उपचार या इलाज क्या […]

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जुकाम क्या है। लक्षण,कारण, बचाव और इलाज के बारे में जानते है?

जुकाम के लक्षण नाक बहना गले में खिचखिचाहट होना। और लगातार छींकना-को कोई भी पहचानता है। लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम होता है। जैसे की सर्दी जुकाम सर्दी जुकाम के कारण और सर्दी जुकाम के उपचार या इलाज क्या है। और सबसे महत्वपूर्ण बात आप सर्दी जुकाम से दूर कैसे रह सकते है। यहां इन सब के बारे में बताया गया है।

सर्दी जुकाम क्या है ?

सर्दी जुकाम एक वायरस के कारण होता है। 240 से अधिक प्रकार की वायरस इस बीमारी के लिए जिम्मेदार होते है। लेकिन राइनोवायरस इनका सबसे आम प्रकार है। 70% सर्दी जुकाम के मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।कोरोनावायरस,इन्फ्लुएंजा और कुछ अन्य ऐसे वायरस है जिसकी वजह से सर्दी जुकाम हो सकता है। ज्यादातर लोगों को समय समय पर जुकाम होता रहता है। वयस्कों को साल में दो से तीन बार जुकाम होता है। जबकि छोटे बच्चों को सा में चार या उससे ज्यादा बार जुकाम होता है। जुकाम के लक्षण आमतौर पर
सात से दस दिन के भीतर खत्म हो जाते है। हालांकि कुछ लक्षण तीन सप्ताह तक भी रह सकते है। जुकाम के लक्षणों में भरी हुई नाक, गले में खुजली, छींक आना, आंखों से पानी आना, और हल्का बुखार शामिल हैं।

सर्दी जुकाम के लक्षण:-

सर्दी जुकाम के लक्षण आमतौर पर दिखने में कुछ दिन लगते है। ऐसा बहुत कम होता है की जजुकाम के लक्षण अचानक दिखाई दें। अगर आपके लक्षण कुछ दिनों से ज्यादा समय तक बने रहते है। या आपको चिंता होती है। तो किसी स्वस्थ्य सेवा केंद्र से जांच करवा लेनी चाहिए। सर्दी जुकाम के वर्ष संक्रमित लोगों के नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदो के जरिए आसानी से फैलते है। सर्दी जुकाम का सबसे अच्छा उपचार घर पर आराम करना होता है। सर्दी जुकाम के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 3 दिन बाद शरू होते है। पहले 2 से 3 दिनों में आपको ज्यादा बुरा महसूस हो सकता है। लेकिन उसके बाद धीरे- धीरे सुधार होने लगता है। लक्षण आमतौर पर लगभग एक हफ्ते तक रहते है।

  •  नाक से निकलने वाला बलगम गाढ़ा पीला या हरा होता है।
  •  भूख न लगना।
  •  मनापेशियों में दर्द।
  • थकान।
  •  हल्का बुखार।
  •  सिरदर्द।
  • खांसी।
  •  गले में खराश या खुजली।
  • छींक आना।
  •  नाक बहना या बंद होना।
  •  आंखों से पानी बहना।
  •  गहराई से सांस लेने में कठिनाई।
  • हड्डियों में दर्द होना।

जुकाम के लक्षण नाक बहना गले में खिचखिचाहट होना। और लगातार छींकना-को कोई भी पहचानता है। लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम होता है। जैसे की सर्दी जुकाम सर्दी जुकाम के कारण और सर्दी जुकाम के उपचार या इलाज क्या है। और सबसे महत्वपूर्ण बात आप सर्दी जुकाम से दूर कैसे रह सकते है। यहां इन सब के बारे में बताया गया है।

सर्दी-जुकाम के कारण:-

जुकाम का सबसे आम कारण वायरस है। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। सर्दी जुकाम वायरस के कारण होता है। ये वायरस नाक या गले की रक्षात्मक परत में प्रवेश करके प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रतिक्रिया करने पर सर्दी-जुकाम पैदा करते हैं। सर्दी-जुकाम के कुछ कारण यह है। ठंड के मौसम में लोग अधिकतर समय घर के अंदर बिताते हैं। जिससे वायरस का प्रसार और तेज हो सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम, थकान, और तनाव भी जुकाम के कारणों में शामिल हैं।

  •  किसी बीमार व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने के दौरान हवा में जो बूंदें निकलती है। उनके संपर्क में आने से
  •  किसी बीमार व्यक्ति से हाथ मिलाकर बातचीत करने से भी या रोग फैलता है।
  •  वायरस के संपर्क में आने के बाद अपने मुँह, नाक या आँखों को छूना।
  • बर्तन,तौलिए,खिलौने या फोन जैसी वस्तुएं सांझा करना, जिन पर वायरस है।
  •  दूध खांसी- जुकाम में दूध और दूध से बने उत्पाद खाने से श्वसन तंंत्र, फेफड़ों और गले में बलगम इकट्ठा हो जाता है। इसलिए जब तक खांसी ठीक न हो जाए दूध से दूर ही रहें।

डॉक्टर को कब दिखाएँ:-

  • जब आपको इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दे। तो आप जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाऐ।
  •  तेज बुखार।
  • छाती में दर्द।
  • कान का दर्द।
  •  सांस लेने में कठिनाई होना।
  • लक्षण 10 दिनों से अधिक समय लगता है। तोआप को कोई अन्य रोग लगने का ख़तरा हो सकता है इस पहले आप डॉक्टर से जांच करवा लेनी चाहिए।

घरेलू उपचार से जुकाम कैसे ठीक करें:-

  •  आराम करने के लिए समय निकालें और भरपूर नींद लें।
  • ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ पिएं।
  •  अलसी के बीजों को मोटा होने तक उबालें और उसमें नीबू का रस और शहद भी मिलाएं और इसका सेवन करें।
  •  गर्म पानी से भांप ले या अपने को तौलिए के नीचे रखकर गर्म पानी के कटोरे के ऊपर रखकर भाप लें।
  •  अदरक के रस में तुलसी मिलाएं और इसका सेवन करे।
  •  हल्दी और अजवायन को एक कप पानी में डालकर पकाएं जब पानी आधा रह जाए तब इसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पिएं।
  •  गर्म नमक के पानी से गरारे करें।
  •  गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पिएं।
  •  एक गिलास उबलते पानी में नींबू और शहद मिलाकर रात को सोते समय पिएं।
  •  गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर पिएं।
  •  तुलसी के पत्ते।
  •  अदरक के रस में शहद।
  •  तुलसी चाय
  •  तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा।
    साफ-सफाई का विशेष ध्यान- वायरल बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है। जो अपने शरीर और अपने आस-पास की सफाई का ध्यान नहीं रखते है। मौसम के बदलाव के समय बीमारी ज्यादा फैलती है साफ-सफाई का विशेष खयाल रखना चाहिए। रोजाना साबुन से नहाना,चाहिए। कपड़े धुप में सुखाने चाहिए। बाथरूम और टॉयलेट की अच्छी तरह सफाई करना चाहिए। खांसते और छींकते समय मुंह पर रूमाल रखना आदि बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके अलावा सब्जियों को धोकर पकाना और खाने से पहले हाथ धोना भी बहुत जरूरी होता है।

बार बार सर्दी जुकाम होने पर क्या करें:-

अगर बार-बार सर्दी जुकाम हो रहा है और शरीर भी थोड़ा बीमार सा महसूस कर रहा है तो इन उपायों के जरिए जुकाम को जल्द से जल्द दूर करने में मदद मिलेगी:

  • जरूरत के हिसाब से पानी पीना- जूस या नींबू पानी जुकाम को कम करने में और शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। और आपको सोडा से बचना चाहिए। जो शरीर में पानी की कमी पैदा करता है।
  • आराम- सर्दी जुकाम को ठीक करने के लिए शरीर को आराम देना भी जरूरी है।
  •  गले की खराश को कम करना – गर्म पानी में उचट मात्रा में नमक मिलाकर उससे गरारे करने से भी गले की खराश और खरोच से राहत मिलती है।

 

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टेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ? https://desinuskha.com/what-is-tetanus-disease/ https://desinuskha.com/what-is-tetanus-disease/#respond Thu, 17 Oct 2024 09:37:23 +0000 https://desinuskha.com/?p=685 टेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ? टेटनस रोग मनुष्य के लिए एक बहुत ही भयानक रोग है। यह रोग मनुष्य मे जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। टेटनस रोग का जीवाणु मिट्टी और धूलकणों मे पाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर रोगी की तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करता है। […]

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टेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ?

टेटनस रोग मनुष्य के लिए एक बहुत ही भयानक रोग है। यह रोग मनुष्य मे जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। टेटनस रोग का जीवाणु मिट्टी और धूलकणों मे पाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर रोगी की तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करता है। यह रोग तब फैलता है। जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है और घाव के माध्यम से टेटनस रोग का जीविणु शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण यह रोग हो जाता है। टेटनस रोग होने पर रोगी को साँस लेने मे कठिनाई होती है। और रोगी की मांसपेशियों मे दर्द होने लगता है। टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण होता है। यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाता है। और पुरे शरीर मे फैल जाता है। और रोगी के शरीर मे मांसपेसियों के दर्द का कारण बन जाता है। टेटनस रोग से बचने के लिए रोगी को अपनी त्वचा के घाव को अच्छी प्रकार से साफ करके,घाव पर दवा का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों में टेटनस रोग को रोकने के लिए डीटीएपी, डीटी का टिका लगाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर ,तुरंत इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु रोगी के पूरे शरीर मे बहुत तेजी से फैल जाते है। यह रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टिटनेस रोग होने के क्या कारण हैं?

टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण फैलता है। टेटनस रोग का जीवाणु मिट्टी , धूलकणों और पशुओं मलमूत्र में पाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

  • टेटनस रोग मुख्य रूप से निम्न कारणो से होता है:-
  • मनुष्य को गहरी चोट और त्वचा के कट जाने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य की त्वचा जलने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को पशुओं के काटने से होने वाला घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को डॉक्टर के द्वारा किसी दूषित सुई का प्रयोग करने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • रोगी के घाव पर किसी प्रकार का संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • रोगी व्यक्ति के किसी ऑपरेशन के घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को कान मे संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य के पैरों पर होने वाले फोड़े के संक्रमण के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को बंदूक की गोली के घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • नवजात शिशुओ मे नाल संक्रमण के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य की त्वचा पर किसी प्रकार का टैटू बनाने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • किसी प्रकार का ड्रग्स इन्जेक्शन के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य को पशुओं के काटने के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य के दांतों में संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को किसी कीड़े के काटने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।

टेटनस रोग होने पर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • टेटनस रोग होने पर बहुत से लक्षण दिखाई देते है:-
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के मासपेशियों मे अकड़न और दर्द होने लगता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी को सांस लेने मे कठिनाई होती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी का रक्त चाप बढ़ जाता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी को बुखार हो जाता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के पेट की मांसपेसियों में अकड़न होती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों मे दर्द होने लगता है।

टिटनेस कैसे फैलता है?

टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण फैलता है। यह रोग मनुष्य के शरीर पर हुए संक्रमण के द्वारा शरीर के अंदर चला जाता है। और फिर यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाता है। और पुरे शरीर मे फैल जाता है। और रोगी के शरीर मे मांसपेसियों के दर्द का कारण बन जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टिटनेस रोग के लिए टीकाकरण:-

सभी लोगो को टेटनस रोग से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाता है। टेटनस रोग से बचने के लिए बच्चों को बचपन मे ही टीके लगाए जाते है। किसी भी व्यक्ति को कोई अन्य बीमारी होने पर भी टेटनस रोग का टिका लगाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टेटनस रोग के बचाव के लिए चार प्रकार के टीके लगाये जाते है:-

  1. डिप्थीरिया और टिटनेस (डीटी) टीकाकरण
  2. टिटनेस और डिप्थीरिया (टीडी) टीकाकरण
  3. डिप्थीरिया, टिटनेस, और पर्टुसिस (डीटीएपी) टीकाकरण
  4. टिटनेस, डिप्थीरिया, और पर्टुसिस (टीडीएपी) टीकाकरण

टिटनेस रोग का उपचार किस प्रकार से किया जाता है ?

टेटनस रोग हो जाने पर इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु रोगी के पूरे शरीर मे बहुत तेजी से फैल जाते है। यह रोग मनुष्य के शरीर पर हुए संक्रमण के द्वारा शरीर के अंदर चलें जाते है। और फिर यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाते है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टेटनस रोग का उपचार निम्न प्रकार से किया जाता है:-

  1. टेटनस टीकाकरण के द्वारा:-
    टेटनस रोग हो जाने पर इसके इलाज के लिए टीकाकरण किया जाता है।
    टेटनस संक्रमण को रोकने के टेटनस टीकाकरण किया जाता है।
    टेटनस रोग से बचने के लिए बच्चों को तीन शॉट के रूप में 2 महीने, 4, 6, 15, 18 महीने और 4-6 साल की उम्र तक दी जाती है।
    टेटनस रोग का टिका 10 वर्ष तक प्रभावी होती है। टेटनस रोग से बचने के लिए 10 वर्ष बाद एक टिका अवश्य लगवा लेना चाहिए।
    किसी व्यक्ति को चोट लगने की स्थिति मे टेटनस का टीका पहले भी लगवाया जा सकता है। प्रत्येक गर्भवती महिला को 3 महीने के दौरान टीडीएपी वैक्सीन लगायी जाती है.
  2. दवाओं के द्वारा उपचार:-
    टेटनस रोग से बचने के लिए डॉक्टर के द्वारा एंटीबायोटिक खाने की दवा या इंजेक्शन लगाया जाता है
    मांसपेशियों मे दर्द को रोकने के लिए डॉक्टर सेडेटिव दवा देते है।
  3. सर्जरी के द्वारा उपचार:-
    अगर रोगी के घाव मे बैक्टीरिया मौजूद है। तो संक्रमित टिश्यू को हटाने के लिए डॉक्टर के द्वारा सर्जरी भी की जा सकती है।
  4. घरेलू उपचार:-
    रोगी के घावों की देखभाल अच्छे तरीके से करनी चाहिए। ताकि बैक्टीरिया के संक्रमण से बचा जा सकें।
    रोगी के घावों को साफ रखे। और घावों पर डॉक्टर के द्वारा दी गई क्रीम का इस्तेमाल करें।
    रोगी के घावों को बैक्टीरिया से बचाने के लिए घावों को पट्टी से ढ़क दें।

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महिलाओ में बांझपन की समस्या क्या है ? https://desinuskha.com/what-is-the-problem-of-infertility-in-women/ https://desinuskha.com/what-is-the-problem-of-infertility-in-women/#respond Thu, 17 Oct 2024 05:50:49 +0000 https://desinuskha.com/?p=671 महिलाओ में बांझपन की समस्या क्या है ? महिलाओं में बांझपन के क्या कारण है ? महिलाओ में बांझपन की समस्या एक गंभीर समस्या है। जो महिलाओ पर सामाजिक और मानसिक रूप से प्रभाव डालती है। महिलाओ में बांझपन की समस्या के कई कारण हो सकते है। इन कारणों का पता लगते ही ,इस बीमारी […]

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महिलाओ में बांझपन की समस्या क्या है ? महिलाओं में बांझपन के क्या कारण है ?

महिलाओ में बांझपन की समस्या एक गंभीर समस्या है। जो महिलाओ पर सामाजिक और मानसिक रूप से प्रभाव डालती है। महिलाओ में बांझपन की समस्या के कई कारण हो सकते है। इन कारणों का पता लगते ही ,इस बीमारी का इलाज किया जाता है। महिलाओ मे उम्र बढ़ने के कारण प्रजनन क्षमता घट जाती है। जिसके कारण उनको गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। महिलाओ में बांझपन की समस्या एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता के कारण भी होती है। महिलाओ मे बांझपन की समस्या तनाव ,आत्म-सम्मान मे कमी महसूस कर सकती है। अगर किसी महिला को कोई अन्य रोग है। जैसे की मधुमेह या ऑटोइम्यून रोग तो उस महिला को बांझपन का रोग हो जाता है। अगर कोई महिला बांझपन की समस्या से गुजर रही है। तो उसको किसी विशेषज्ञ या प्रजनन स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इस समस्या का उपचार होने पर वह गर्भधारण में सफल हो सकती हैं।

महिलाओं में बांझपन के क्या-क्या कारण है ?

बहुत से कारणो से महिलाए बांझपन रोग का शिकार हो जाती है। महिलाओ मे बांझपन रोग होने के कारण वे बच्चो को जन्म नहीं दे सकती है महिलाओ मे बांझपन रोग के कारणो का पता लगते ही इसका इलाज किया जाता है।

महिलाओ मे बांझपन रोग निम्न कारणों से होता है-

  • महिलाओ में अंडाणु उत्पादन की समस्या के कारण महिला बांझपन का शिकार हो जाती है।
  • महिलाओ में फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार का अवरोध होने के कारण अंडाणु और शुक्राणु का सही प्रकार से मिलन नहीं हो पता। जिसके कारण गर्भधारण नहीं हो सकता।
  • महिलाओ में मासिक धर्म का न होना या अनियमित रूप से होना भी बांझपन का एक मुख्य कारण है।
  • मोटापे के कारण बहुत सी महिलाए बांझपन रोग का शिकार हो जाती है।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण महिलाए बांझपन रोग का शिकार हो जाती है।
  • बहुत सी महिलाओ मे यौन संचारित संक्रमण के कारण बांझपन रोग हो जाता है।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन करने के कारण महिलाओ में बांझपन रोग हो जाता है।
  • महिलाओ में बहुत अधिक तनाव और चिंता के कारण हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कारण प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाती है।
  • असंतुलित भोजन का अधिक सेवन करने से भी यह रोग हो जाता है।

महिलाओ में बांझपन रोग होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • महिलाओ में मासिक धर्म चक्र का अनियमित होना।
  • महिलाओ में बिना किसी कारण से वजन का घटना या बढ़ना।
  • महिलाओ में पीरियड्स के के समय बहुत अधिक दर्द होना।
  • महिलाओ में हार्मोन का बदलाव होना।
  • किसी भी महिला को लगातार गर्भपात का होना।
  • किसी भी महिला को लम्बे से गर्भधारण न होना।
  • बांझपन रोग मे महिला को लगातार थकान और कमजोरी होना।
  • महिलाओ मे लगातार पेल्विक दर्द का होना।

महिलाओ के बांझपन रोग का इलाज कैसे किया जाता है ?

महिला बांझपन रोग का इलाज उसके कारणो के आधार पर किया जाता है। इस रोग के इलाज के लिए इस बात की जाँच की जाती है की महिला को किस प्रकार की बीमारी है। बीमारी का पता लगने पर ही ,इस रोग का इलाज किया जाता है।

इस रोग का इलाज कुछ इस प्रकार से किया जाता है:-

  1. दवाओं द्वारा उपचार:
    ओव्यूलेशन की समस्या होने पर महिलाओ को दवाऔ के उपयोग करने के बारे बताया जाता है।
    यदि किसी महिला को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। तो उस महिला द्वारा मेटफॉर्मिन दवा का उपयोग किया जा सकता है।
    क्लोमीफीन साइट्रेट दवा का प्रयोग महिलाओ मे ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए किया जाता है।
    बांझपन रोग का उपचार करने के लिए महिलाओ को प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली दवाएँ दी जाती है।
  2. सर्जरी द्वारा उपचार:
    कई बार महिलाओ मे किसी कारण से फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या क्षतिग्रस्त हो जाती है। तो सर्जरी द्वारा इसे ठीक किया जाता है।
    बहुत बार महिलाओ के गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स या सिस्ट होने पर,इसका इलाज सर्जरी द्वारा ठीक किया जाता है।
  3. आर्टिफिशियल प्रजनन तकनीक द्वारा उपचार:
    इस तकनीक के द्वारा महिला के अंडे को पुरुष के शुक्राणु के साथ लैब में निषेचित किया जाता है और इसके बाद भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
  4. जीवनशैली में बदलाव से उपचार:
    बांझपन रोग होने पर महिला को संतुलित आहार का सेवन और नियमित रूप से योग करना चाहिए।
    बांझपन रोग होने पर महिला को धूम्रपान का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    बांझपन रोग होने पर महिला को कम से कम सात घंटे की नींद लेनी चाहिए।
    बांझपन रोग होने पर महिला को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

 

 

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पीरियड्स क्या है? और क्यों होते है,कब शुरू होता है ? https://desinuskha.com/what-are-periods/ https://desinuskha.com/what-are-periods/#respond Thu, 17 Oct 2024 05:24:36 +0000 https://desinuskha.com/?p=667 पीरियड्स क्या है? और क्यों होते है,कब शुरू होता है ? मासिक धर्म जिसे अंग्रेजी में पीरियड्स कहा जाता है। और यहां प्राकृतिक की देंन है। कोई भी महिला मासिक धर्म के बिना माँ नहीं बन सकती। और बच्चे को जन्म नहीं दें सकती। इस लिए महिलाओं में मासिक धर्म का होना बहुत जरुरी है। […]

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पीरियड्स क्या है? और क्यों होते है,कब शुरू होता है ?

मासिक धर्म जिसे अंग्रेजी में पीरियड्स कहा जाता है। और यहां प्राकृतिक की देंन है। कोई भी महिला मासिक धर्म के बिना माँ नहीं बन सकती। और बच्चे को जन्म नहीं दें सकती। इस लिए महिलाओं में मासिक धर्म का होना बहुत जरुरी है। महिलाओं का शरीर गर्भधारण करने की क्षमता हासिल करने की पहली स्टेप को पार कर चुका है। पीरियड्स के बारे में इसका क्या मतलब है। क्यों होता है। और कब शुरू होता है? ये सभी सवाल के जवाब जान लें।

पीरियड्स क्या हैं ?

पीरियड्स का आरंभ होना और यौवनावस्था का एक साथ आरंभ होना है। यौवन अवस्था के आरंभ होते ही बच्चों के जननांग का विकास शुरू हो जाता है। इस दौरान बच्चों के शरीर के कई हिस्सों में बाल आने शरू हो जाते है। इस अवस्था में लड़कों के टेस्टिस शुक्राणु उत्पन्न करने वाला अंग में स्पर्म उत्पन्न होता है। और लड़कियों में पीरियड्स शुरू होता है। जिससे वे गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती हैं। पीरियड्स के दौरान महिला की योनि से रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) होता है। जब कोई लड़की मेच्योर होने लगती है। तो उसका शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार होने लगता है। जब वह यौवन में प्रवेश करती है। तो उसके शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। जिससे मासिक धर्म का चक्र शुरू होता है।

लड़कियाँ में पहला पीरियड्स कब आना चाहिए ?

  • पहले पीरियड को मिनार्की कहते हैं।
  •  ज्यादातर लड़कियाँ दस से चौदह साल की उम्र के बीच अपना पहला पीरियड अनुभव करती है। औसत उम्र लगभग 12 साल होती है। आपके पहले पीरियड की शुरुआत की तारीख को सटीक रूप से बताना काफी मुश्किल है। यह आमतौर पर यौवन के शुरुआती लक्षणों जैसे कि स्तनों का विकास, और बालों का उगना विकास के लगभग एक साल बाद होता है। आप निश्चित रूप से अपने पीरियड से पहले के कुछ महीनों में योनि से सफ़ेद या पीले रंग का स्राव देखेंगे।
  •  अगर बच्चे को यौवन अवस्था प्राप्त होने से पहले मासिक धर्म हो जाता है। तो माता-पिता और देखभाल करने वाले डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं।
  •  मासिक धर्म आने से पहले स्तनों का विकास बाहों के नीचे और गुप्तांगों में बाल उगना और योनि से सफ़ेद या पीले रंग का स्राव जैसे संकेत दिखते हैं।
  •  अगर 15 साल की उम्र तक या 13 साल की उम्र तक अगर आपको यौवन के कोई अन्य लक्षण नहीं दिखते तो डॉक्टर से मिलें।
  • मासिक धर्म में देरी के संभावित कारणों में कम वज़न, ज़्यादा व्यायाम, तनाव, और हॉर्मोन असंतुलन शामिल हैं।
  •  जब पहली बार पीरियड के लक्षणों की बात आती है। तो आपको थोड़ी सी असुविधा का अनुभव हो सकता है।आम पहली बार पीरियड के लक्षणों की सूची में शामिल हैं।
  •  पेट के निचले हिस्से में ऐंठन।
  •  स्तनों में कोमलता।
  •  पीठ के निचले हिस्से में दर्द।
  •  जी मिचलाना।
  •  दस्त।
  •  चक्कर आना।
  •  पहली बार मासिक धर्म के ये लक्षण ज़्यादातर लंबे समय तक नहीं रहते।

पीरियड्स में ब्लीडिंग कम होने के कारण ?

  •  ज्यादा व्यायाम करना बहुत ज्यादा व्यायाम करने से हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  •  हॉर्मोनल असंतुलन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन, पीरियड चक्र को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें असंतुलन होने से पीरियड्स में कम ब्लीडिंग हो सकती है।
  • पोषक तत्वों की कमी का कारण।
  • अत्यधिक तनाव या डिप्रेशन।
  •  लंबी बीमारी से प्रभावित होना।
  •  गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में विकार।
  • एथलीट्स जैसे व्यायाम करने वाले महिलाओं में यह समस्या अधिक हो सकती है।
  •  तनाव और मानसिक स्वस्थ लंबे समय तक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं पीरियड प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।
  • महिलाओं के लिए मासिक धर्म की शुरुआत में 1 से 2 वर्षों में कई बार लाइट ब्लीडिंग का
    होना सामान्य होता है। लेकिन यदि यह बार-बार हो रहा है लंबे समय तक चल रहा है। तो इस की वजह से गर्भाशय संबंधी विकार हार्मोनल असंतुलन, उपयोगी पोषक तत्वों की कमी से और अधिक तनाव हो सकता है। ऐसे लक्षणों को सामान्य नहीं समझना चाहिए। और तुरन्त उपचार करना चाहिए।

पीरियड्स के नहीं होने पर क्या करें ?

  • समय पर खाना ना खाने से भी यह समस्या हो सकती है।
  •  ज्यादा मोटापा की वजह से भी महिलाओं के पीरिड्स मिस हो जाते है
  •  पीरियड्स मिस होने पर सबसे पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना चाहिए।
  •  भोजन में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का मिलना भी जरुरी है।
  •  पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
  •  अगर कुछ दिनों तक पीरियड्स नहीं आते। तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • अगर आपको लगातार तीन या उससे ज़्यादा महीनों तक पीरियड्स मिस होते हैं। तो अपने स्वास्थ्य सेवा केंद्र पे जाए और जाँच करवाएं।
  •  ज्यादा मात्रा में तेलीय, मीठा और फैटी फ़ूड से दूर रहें।
  •  जीवनशैली को नियंत्रित करके भी पीरियड्स को रेगुलर किया जा सकता है।

पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग ?

  •  HIV, रूबेला, मंप्स जैसी बीमारियां ये बीमारियां रक्त को पतला कर सकती हैं। और पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं।
  •  रक्त पतला करने वाली दवाएं रक्त पतला करने वाली दवाएं और पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं।
  •  गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर की वजह से भी पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
  •  स्वस्थ पीरियड्स पांच से सात दिनों तक चलते है। अगर इस दौरान अधिक ब्लीडिंग होती है। या पीरियड्स सात दिनों से अधिक चलते है। यह बीमारी का सकते हो सकता है। कई बीमारी रूप धारण कर लेती है। जैसे गर्भाशय या अंडाशय से जुडी बीमारी, हार्मोन असंतुलन, या खून की कमी के कारण भी हो सकता है।
  •  जब किसी महिला को इस तरह की समस्या होती है। तो वह जल्दी से किसी अच्छे जानकर से मिलना चाहिए। और या समस्या ख़तरा पैदा कर सकती है। इससे महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी हो सकती है।

मेनोपॉज किसे कहते हैं:-

महिला की ऐसी अवस्था जब उसके पीरियड्स बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज कहलाता है। “जब महिला की उम्र 45 से 55 के बीच पहुंच जाती है। तो अंडाशय में अंडे बनना बंद हो जाते हैं। और गर्भाशय में परत का बनना भी बंद हो जाता है जिससे माहवारी नहीं होती है। मेनोपॉज के दौरान महिला को गर्मी का ज्यादा अनुभव होता है। बाल झड़ने की समस्या देखी जा सकती है। योनि में रूखापन आने लगता है। और इसके अलावा शरीर में और भी कई बदलाव होने लगते हैं।

 

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रक्त चाप क्या है ? इसको कैसे मापा जाता है ? https://desinuskha.com/what-is-blood-pressure/ https://desinuskha.com/what-is-blood-pressure/#respond Wed, 16 Oct 2024 09:05:40 +0000 https://desinuskha.com/?p=648 रक्त चाप क्या है ? इसको कैसे मापा जाता है ? मानव शरीर मे हृदय रक्त को संचारित करने का करता है। जब मनुष्य के शरीर मे रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव मे परिवर्तन होता है। जब हृदय धमनियों मे रक्त को दबाता है। तो दबाव बढ़ जाता है। जब हृदय सिकुड़ता […]

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रक्त चाप क्या है ? इसको कैसे मापा जाता है ?

मानव शरीर मे हृदय रक्त को संचारित करने का करता है। जब मनुष्य के शरीर मे रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव मे परिवर्तन होता है। जब हृदय धमनियों मे रक्त को दबाता है। तो दबाव बढ़ जाता है। जब हृदय सिकुड़ता है। तो रक्त का दबाव बढ़ जाता है। किसी भी व्यक्ति का रक्त चाप हर समय बदलता रहता है।

रक्त चाप के क्या कारण है ?

रक्त चाप पर बहुत से कारक प्रभाव डालते है-

  • जब शरीर मे हृदय जोर से रक्त को पंप करता है। तो रक्त चाप बढ़ जाता है। और जब हृदय की पंपिंग कम हो जाती है। तो रक्त चाप कम हो जाता है।
  • जब हृदय की धमनियों मे संकुचन होता है। तब रक्त चाप बढ़ जाता है।
  • मनुष्य के शरीर में रक्त का आयतन भी रक्त चाप को प्रभावित करता है। अधिक रक्त का आयतन होने पर रक्त का दबाव बढ़ जाता है और रक्त का आयतन कम होने पर रक्त का दबाव कम हो जाता है।
  • जब मनुष्य आराम करता है ,तो उसका रक्त चाप सामान्य हो जाता है।
  • जब मनुष्य अधिक तनाव और चिंता की स्थिति मे होता है। तो रक्त चाप बढ़ जाता है।
  • मनुष्य के शरीर मे जब हार्मोन बदलते है। तो उस समय रक्त चाप मे बदलाव आ जाता है।
  • जब मनुष्य बहुत अधिक धूम्रपान और शराब का सेवन करता है। तो उस समय उसका रक्त चाप बढ़ जाता है।

रक्त चाप को कैसे मापा जाता है ?

  • जब किसी भी व्यक्ति का रक्त चाप मापा जाता है। तो सबसे पहले बाजू के ऊपर से किसी भी प्रकार के तंग कपड़े को हटा दें।
  • रक्त चाप मापते समय बाजू के चारो और कफ लपेटे ताकि बाजू सही प्रकार से ढ़की जाए।
  • रक्त चाप मापते समय अपने हाथो को हृदय पर रख लें।
  • कफ को रबर की नली से हवा भरकर फुलाया जाता है। कफ फूलने पर रक्त का संचरण अस्थाई रूप से रुक जाता है।
  • स्टेथोस्कोप का उपयोग करके मनुष्य की धड़कन और रक्त के प्रवाह की ध्वनि को सुना जाता है।
  • रक्त चाप को मिलीमीटर एचजी मे मापा जाता है।
  • रक्त चाप को घर पर भी मापा जा सकता है। जिससे सही समय पर उच्च रक्त चाप और निम्न रक्त चाप का पता लगाया जा सकता है।

रक्त चाप कितने प्रकार का होता है ?

रक्त चाप दो प्रकार का होता है।

  1. सिस्टोलिक रक्त चाप (हाइपरटेंशन)
    यह रक्त का वह दबाव है। जब हृदय रक्त को पंप करता हैउस समय धमनियों में सबसे ज्यादा दबाव होता है। यह प्रकिया तब होती है जब मानव का ह्रदय फैलता है
  2. डायस्टोलिक रक्त चाप (हाइपोटेंशन)
    डायस्टोलिक रक्त चाप तब होता है। जब मानव का हृदय रक्त का पंप नहीं करता है। उस समय धमनियों में दबाव कम होता है।

उच्च रक्त चाप (हाइपरटेंशन) होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • उच्च रक्त चाप होने पर व्यक्ति के सिर मे दर्द होता है।
  • उच्च रक्त चाप होने पर व्यक्ति को चक्कर आने लगते है।
  • उच्च रक्त चाप होने पर व्यक्ति की छाती मे दर्द होने लगता है।
  • उच्च रक्त चाप होने पर व्यक्ति को बहुत थकान होने लगती है।
  • उच्च रक्त चाप होने पर व्यक्ति को साँस लेने मे कठिनाई होती है।

निम्न रक्त चाप (हाइपोटेंशन) होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • निम्न रक्त चाप होने पर रोगी को चक्कर आने लगते है।
  • निम्न रक्त चाप होने पर रोगी बेहोश हो जाता है।
  • निम्न रक्त चाप होने पर रोगी को धुंधला दृष्टि रोग हो जाता है।
  • निम्न रक्त चाप होने पर रोगी के हाथ -पैर ठंडे पड़ जाते है।

उच्च रक्त चाप का उपचार किस प्रकार से किया जाता है?

किसी भी व्यक्ति को उच्च रक्त चाप जब होता है। जब धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है। उच्चरक्त चाप होने पर इसका करवाना बहुत जरूरी है समय पर इलाज न होने से यह शरीर मे अनेक बीमारिया पैदा करदेता है

उच्च रक्त चाप का उपचार निम्न प्रकार से किया जाता है।

  1. घरेलू उपचार:
    उच्च रक्त होने पर रोगी को नींबू का रस का सेवन करना चाहिए। जिससे शरीर की धमनियां साफ हो जाती है। और रक्त चाप नियंत्रित हो जाता है।
    धनिया और जीरा को पानी में उबाल कर सेवन करने से भी रक्त चाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
    मेथी के बीजों को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से भी रक्त चाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  2. चिकित्सा उपचार:
    उच्च रक्त चाप को कम करने के लिए डाययूरेटिक्स,एसीई इनहिबिटर्स,कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है।
    उच्च रक्त चाप को कम करने के लिए धूम्रपान और शराब से परहेज करें।

निम्न रक्त चाप का उपचार किस प्रकार से किया जाता है?

निम्न रक्त चाप होने पर इसका उपचार करना बहुत जरूरी है। निम्न रक्त चाप के उपचार के कुछ तरीके इस प्रकार से है –

  1. घरेलू उपचार:
    निम्न रक्त चाप होने पर नमक और चीनी को पानी मे मिला कर पिने से रोगी को आराम मिलता है।
    निम्न रक्त चाप होने पर रोगी को तुलसी के पत्तो को शहद के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
    मुलेठी का सेवन करने से शरीर में रक्त चाप बढ़ने में मदद मिलती है।
  2. चिकित्सा उपचार:
    निम्न रक्त चाप होने पर इसका डॉक्टरी इलाज भी किया जाता है।
    निम्न रक्त चाप होने पर डॉक्टर रोगी को फ्लुड्रोकोर्टिसोन ,मिडोड्रिन जैसी दवाए देता है। जिनका सेवन करने से रोगी को निम्न रक्त चाप से आराम मिलता है।
    निम्न रक्त चाप होने पर रोगी को अधिक नमक का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
    निम्न रक्त चाप होने पर रोगी को कॉफी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। जिससे रोगी को निम्न रक्त चाप मे आराम मिलता है।

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घुटने में दर्द का कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ? https://desinuskha.com/what-is-knee-pain/ https://desinuskha.com/what-is-knee-pain/#respond Wed, 16 Oct 2024 07:55:43 +0000 https://desinuskha.com/?p=640 घुटने में दर्द का कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ? घुटने में दर्द की शिकायत घुटने में चोट लगने या दूसरी बीमारीयों के कारण पैदा होता है। घुटनो में हर रोज दर्द जीवन में मुशिकलें बढ़ा सकता है। घुटना में दर्द के अनेक कारण और लक्षण हो सकते है। इसके कारण और लक्षण के आधार […]

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घुटने में दर्द का कारण, लक्षण और घरेलू इलाज ?

घुटने में दर्द की शिकायत घुटने में चोट लगने या दूसरी बीमारीयों के कारण पैदा होता है। घुटनो में हर रोज दर्द जीवन में मुशिकलें बढ़ा सकता है। घुटना में दर्द के अनेक कारण और लक्षण हो सकते है। इसके कारण और लक्षण के आधार डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। घुटना शरीर के जोड़ों में से एक है। जो उठने, बैठने,चलने या हमारे शरीर में घुटनों का स्वस्त होना बहुत जरुरी है। अगर हमारे घुटने ठीक से काम नहीं करें गए तो ना ही हम अच्छे चल सकते है और ना ही हम अच्छे से बैठ सकते। जीवन के दूसरे अनेक कामों को बिना किसी परेशानी का सामना किए बिना आसानी से पूरा करने में मदद करता है। जीवन की गुणवत्ता यानी क्वालिटी में स्वस्थ घुटने की खास भूमिका होती है। घुटने का दर्द एक बेहद आम लक्षण है जो अस्थायी चोट से लेकर गठिया जैसी पुरानी बीमारी तक हर चीज के कारण हो सकता है। आप आमतौर पर घर पर ही आराम और ओवर-द-काउंटर दवा से घुटने के दर्द का इलाज कर सकते हैं। अगर आपको कोई चोट लगी है। या लगातार कुछ दिनों से घुटने में दर्द है। तो किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलें।

घुटने का दर्द क्या है?

मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं उतने ही उनके बीच में बने घुटने। घुटनों से ही पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है। इन्हीं घुटनों में कई कारणों से दर्द होने लग जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। लम्बी दूरी तक दौड़ने से घुटनों के जोड़ में दर्द हो सकता है। क्योंकि इससे घुटनों पर बहुत झटका लगता है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब घुटने में दर्द का कारण बर्साइटिस, गाउट, टेंडनाइटीस या आर्थराइटिस जैसी कोई गंभीर बीमारी होती है।ऐसी स्थिति में घरेलू उपायों से कोई फायदा नहीं होता है। इस स्थिति में घुटने दर्द का इलाज करने के लिए डॉक्टर दवाओं, तेल या सर्जरी का उपयोग करते हैं।

घुटनों में दर्द होने के कारण:-

घुटने में दर्द होने के कारण अनेक समस्या और गभीर स्थितियां और बीमारियां हो सकती है। घुटने में दर्द के अनेक कारण हो सकते है:

  • काम के दौरान घुटने पर अधिक बल पड़ना।
  • बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र के साथ हमारे घुटने के जोड़ों में मौजूद ग्रीस कम होने लगता है। जिससे घुटनों में दर्द हो सकता है।
  • घुटने के ढांचे पर चोट लगना।
  • घुटनों के बल पर गिरना।
  • बहुत ज्यादा वजन होना।
  • किसी तरह का संक्रमण होना।
  • खेलते समय पैर में किसी तरह का मोच आना।
  • हड्डियां कमजोर होना।
  • हड्डियों का कैंसर।
  • पैर मोड़कर लंबे समय तक बैठना।
  • मोटापा के कारण घुटने पर प्रेशर पड़ना।
  • शारीरिक गतिविधियाँ, व्यायाम, खेल खेलना और शारीरिक काम करना, ये सभी आपके घुटने के जोड़ पर दबाव डाल सकते हैं। एक ही तरह की हरकतें बार-बार करना जैसे बहुत ज़्यादा कूदना, या अपने हाथों और घुटनों पर काम करना घुटने में दर्द पैदा कर सकता है।

घुटने के दर्द के लक्षण क्या हैं:-

दर्द होने पर आपको अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते है। तो आऐ जानते है क्या लक्षण है:-

  • घुटने में कमजोरी।
  •  घुटने में चटकने या चटकने जैसी आवाज का होना।
  •  घुटने में सूजन और कठोरता।
  • घुटने को पूरी तरह से सीधा करने में परेशानी होना भी एक अहम लक्षण है।
  • घुटने के निचे दर्द, सूजन झुनझुनी या नीलापन।
  •  घुटने में लगातार दर्द का रहना।
  •  घुटने में लाली और छूने पर गर्माहट।
  • घुटने के आस-पास सूजन होना।
  • गठिया में का दर्द होना।
  •  पैरों को हिलाने पर घुटने से हड्डी टकराने की आवाज़ आना।
  •  घुटने में अकड़न, खास तौर पर उठने के बाद या लंबे समय तक बैठने के बाद।
  •  चलने या उठने में परेशानी।
  • लंगड़ापन महसूस करना।

घुटनों के दर्द से बचने के उपाय:-

कुछ बातों को ध्यान में रख कर घुटनों की बेहतर देखभाल की जा सकती है और घुटने के दर्द से बचा जा सकता है:-

  • भारी सामान को उठाने से बचें।
  • घुटनों पर ज्यादा दबाव न डालें।
  • घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
  •  अपने शरीर को चुस्त और दुरुस्त रखें।
  •  वज़न नियंत्रित रखें ज़्यादा वज़न होने पर घुटनों पर ज़्यादा दबाव पड़ता है।
  •  आप प्रतिदिन व्यायाम करें। इस से मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। और संतुलन बेहतर होता है। इससे घुटनों पर तनाव कम होता है।
  • घुटने के निचे तकिया रखकर आराम करें।
  •  चोट लगने के बाद पहले दिन हर घंटे 15 से 20 मिनट के लिए बर्फ़ की थैली लगाएं।
  • घुटने पर इलास्टिक पट्टी बांधें।
  •  विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं या प्राकृतिक सूर्य के प्रकाश में रहें।

घुटने के दर्द के घरेलू नुस्खे:-

  • आराम करें और दर्द पैदा करने वाली गतिवधियों से बचें।
  •  रात को सोने से पहले हल्दी मिलाकर गर्म दूध पिएं।
  •  सरसों के तेल से मालिश करें।
  •  अदरक का रस निकालकर घुटनों पर लगाएं।
  •  घुटने को अपने दिल के स्तर से ऊपर रखें।
  •  नारियल तेल के साथ मसाज़ करें। इस से आप के घुटने में आराम मिलता है।
  •  सेब का सिरका।

निष्कर्ष:-

घुटने का दर्द इतना आम है कि लगभग हर किसी ने अपने जीवन में इसे महसूस किया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको लगातार दर्द में रहना होगा। अगर घुटने का दर्द इतना गंभीर हो गया है कि आपको अपनी दिनचर्या बदलने पर मजबूर होना पड़ रहा है, तो किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलें। वे आपको ऐसे उपचार खोजने में मदद करेंगे जो आपको आपकी पसंदीदा दिनचर्या में वापस ला सकें।

 

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पिलिया रोग क्या है ? लक्षण,कारण,और उपचार जानते है? https://desinuskha.com/what-is-jaundice-disease/ https://desinuskha.com/what-is-jaundice-disease/#respond Tue, 15 Oct 2024 11:27:29 +0000 https://desinuskha.com/?p=616 पिलिया रोग क्या है ? लक्षण,कारण,और उपचार जानते है? पीलिया तब होता है। जब आपकी त्वचा का रंग बदल जाता है। आम व्यक्ति की त्वचा और रोगी व्यक्ति की त्वचा आपको अलग दिखाई देगी। रोगी व्यक्ति की त्वचा पीली रंग की दिखती है। और पीलिया के रोगी व्यक्ति की आँखों का सफ़ेद भाग भी पीला […]

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पिलिया रोग क्या है ? लक्षण,कारण,और उपचार जानते है?

पीलिया तब होता है। जब आपकी त्वचा का रंग बदल जाता है। आम व्यक्ति की त्वचा और रोगी व्यक्ति की त्वचा आपको अलग दिखाई देगी। रोगी व्यक्ति की त्वचा पीली रंग की दिखती है। और पीलिया के रोगी व्यक्ति की आँखों का सफ़ेद भाग भी पीला हो जाता है। पीलिया जब होता है जब आपका लीवर आपके रक्त में बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनने वाला एक पीला पदार्थ को संसाधित करने में असमर्थ होता है। या तो बहुत अधिक लाल रक्त कोशिका टेटने या लीवर की चोट के कारण हो सकता है।
कई बार हमारे शरीर में बिलीरुबिन का निर्माण अधिक मात्रा में होने लगता है। जिसे लिवर फिलटर नहीं कर पाता। इसी बिलीरुबिन के कारण पीलिया होता है।इससे लिवर फेल होने का खतरा बढ़ सकता है।पीलिया का समय पर इलाज न कराने पर रोगी की जान बचाना मुश्किल हो जाती है।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपको पीलिया है ?

 

हो सकता है की आपको पीलिया से जुड़ी पीली त्वचा होने पर आपको पता न चले। पीलिया तब होता है। जब शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है। बिलीरुबिन,हीमोग्लोबिन में पाया जाने वाला एक पीला रंगद्रव्य है। जब लाल रक्त कोशिका टूटती है तो वे बिलीरुबिन छोड़ती है। अगर शरीर पर्याप्त मात्रा में बिलीरुबिन से छुटकारा नहीं पा पाता है। तो यह त्वचा और आंखों में जमा हो जाता है।

पीलिया के लक्षण इस प्रकार है ?

  •  आपकी त्वचा और आँखों के सफदे भाग का रंग पीला पड़ना।
  •  बुखार का होना नॉर्मल है।
  •  ठंड लगना
  •  पूरा दिन थकान रहना।
  • पेट में दर्द।
  •  वज़न घटना।
  •  उल्टी आना और जी मिचलाना।
  •  भूख न लगना।
  •  शरीर में खुजली होना।
  •  नींद न आना।
  • फ्लू जैसे लक्षण।
  •  त्वचा के रंग में बदलाव।
  •  गहरे रंग का पेशाब।
  •  सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।
  •  सिर दर्द होना।

पीलिया रोग के कारण ?

  •  शराब का ज्यादा सेवन करने से भी पीलिया जल्दी होता है।
  •  लाल रक्त कोशिकाओं का ज्यादा टूटने से भी पीलिया का रोग हो सकता है।
  •  पीलिया के रोगी को बुखार रहता है।
  •  रोगी व्यक्ति को भूख तो लगती ही नहीं है।
  • आँखों का रंग पीला होना।
  • पीलिया के रोगी व्यक्ति को अपने नाखूनों से भी पता लग जाता है। उस के नाखूनों का रंग भी पीला हो जाता है।
  •  पेशाब का रंग भी बदल जाता है। पीला रंग का पेशाब आता है।
  •  अत्‍यधिक कमजोरी और थका थका सा लगना।

पीलिया होने पर डॉक्टर से कब मिलें ?

  •  आंखों में पीलापन आना।
  • त्वचा का पीला पड़ना।
  • थकान महसूस होना।
  •  पेट दर्द होना।
  •  वजन घटना।
  •  भूख न लगना।
  •  बुखार आना।
  • नवजात शिशुओं में पीलिया आमतौर पर हल्का होता है और एक से दो हफ्तों में ठीक हो जाता है।
  • अगर पीलिया दो हफ्तों से ज्यादा समय तक रहे। तो डॉक्टर से सलाह ले।
  •  पीलिया से ठीक होने में कम से कम छह महीने लग सकते है।
  • पीलिया के कारण लीवर को अपनी कार्यक्षमता वापस पाने में समय लगता है।

पीलिया से बचने के उपाय ?

  • स्वस्थ भोजन करना चाहिए।
  • साफ पानी पीना चाहिए।
  • रात को सोते समय ज्यादा नहीं तो एक गिलास दूध पीना चाहिए।
  •  उम्र के हिसाब से अपना वज़न को मेंटेन रखें।
  •  नमक और कॉफी का सेवन कम करें।
  •  शराब का सेवन कम से कम करें या बंद करें।
  •  नशीली दवाओं का सेवन न करें।
  • आपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। साबुन से धोएं पानी की मदद से।
  •  हाई फ़ाइबर वाले खाद्य पदार्थों को खाना चाहिए।
  •  पीलिया के रोगी को सुबह-शाम दो बार नहाना चाहिए।
  •  पीलिया के रोगी को भारी भोजन नहीं करना चाहिए।
  •  पीलिया के रोगी को उबले हुए पानी को ठंडा करके ही पीना चाहिए।
  •  पपीता, आमला, तुलसी, अनानास, छाछ और दही आदि का सेवन करने से भी पीलिया को दूर करने में मदद मिलती है।

पीलिया को ख़त्म करने के घरेलू उपाय ?

संक्रमण से होने वाली ये बीमारी कुछ घरेलू तरीकों से खत्म की जा सकती है। जानिए पीलिया को किन उपायों की मदद से जड़ से खत्म किया जा सकता है।

  •  चुकंदर और नींबू का रस के उपचार में मददगार हो सकता है। एक कप चुकंदर का रस लें और थोड़ा सा नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाएं और पिएं। इसे 10 दिनों तक जरूर लें।नींबू में भी विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है और यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मददगार है।
  •  टमाटर का रस टमाटर का सेवन भी पीलिया के इलाज में फायदेमंद है। इसके लिए आप टमाटर के रस में थोड़ी सी पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं। इससे आपको काफी आराम होगा।
  • गन्ना का जूस घरेलू इलाज में गन्ने का जूस भी लाभकारी होता है। यह पाचन को मजबूत बनाता है। इसके लिए एक गिलास गन्ने का रस लें और इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाकर पिलाए पीलिया के रोगी को जल्दी ही आराम मिलेगा।
  • पपीता के पत्ते पीलिया में पपीते का पत्ता भी असरदार होता है। इसके लिए पपीते के पत्तों के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी व्यक्ति को पिलाएं। इसे नियमित रूप10 से 12 दिन जरूर पिलाएं। पपीते के पत्ते में पाए जाने वाले कंपाउंड और एंटीऑक्सीडेंट्स कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
  • सूर्य की रोशनी सूर्य की रोशनी नवजात शिशुओं में होने वाले पीलियो को खत्म करती है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
  • बकरी का दूध इसमें हेपेटाइटिस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी होती हैं। पीलिया से ग्रसित रोगी को रोज एक कप बकरी का दूध लेना चाहिए।
  • तुलसी के पत्तों को चबाकर या पीसकर पीने से पीलिया में आराम मिलता है।

 

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