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खाँसी क्या है ? यह कितने प्रकार की होती है खांसी से बचने के क्या क्या उपाय है ?

खाँसी क्या है ? यह कितने प्रकार की होती है ?

खाँसी एक सामान्य और स्वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया है जो किसी भी आयु वर्ग के लोगों में देखी जा सकती है। जो आपके वायु मार्ग को साफ रखने के लिए डिज़ाइन की गई है। जब हमारा स्वशन तंत्र किसी बाहरी या आंतरिक प्रतिक्रिया से प्रभावित होता है यह हमारे शरीर का एक रक्षा तंत्र है जो वायु मार्ग से धूलकणों, बलगम ,संक्रमणकारी कणों को बाहर निकलने मे मदद करता है। खाँसी एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है जो आपके शरीर द्वारा आपके ऊपरी और निचले वायु मार्ग से जलन पैदा करने वाले तत्वों को हटाने का तरीका है खांसी हमारे श्वसन तंत्र को साफ करने में मदद करती है जब खांसी अधिक समय तक बनी रहती है तो वह एक बीमारी का रूप ले लेती है यह बीमारी कभी-कभी अस्थाई होती है और जो जल्दी ठीक हो जाती है खासी कभी कभी साधारण सर्दी -जुकाम से भी हो जाती है लेकिन कुछ मामलो मे खांसी गंभीर रोगो का कारण हो सकती है यह गंभीर बीमारियों जैसे तपेदिक (टीबी), अस्थमा, या निमोनिया का संकेत भी हो सकती है। खांसी की बीमारी को सही समय पर पहचानकर इसका उपचार किया जाए, तो इससे होने वाले गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

खाँसी कितने प्रकार की होती है ?

खाँसी के प्रकार इस बात पर निर्भर करते है की खांसी कितनी पुरानी है और खांसी कितने समय तक रहती है खांसी मे आपकी आवाज कैसी आती है कई बार खांसी अचानक शुरू हो जाती है कई बार सूखी खांसी भी हो जाती है खांसी होने पर आपको बलगम आता है जो आपको जुकाम के कारण होती है
खांसी निम्न प्रकार की होती है —
सूखी खांसी -सूखी खांसी गले मे जलन और खराश से महसूस होती है और इसमें बलगम नही निकलता है। यह खांसी अक्सर धूम्रपान ,प्रदूषण ,वायु मार्ग मे जलन, एलर्जी या अस्थमा के कारण होती है यह खांसी लंबे समय तक बनी रहती है जिससे आपके गले मे सूजन हो जाती है।
क्रोनिक खांसी -यह खांसी बहुत अधिक समय तक रहती है यह खांसी लगभग आठ सप्ताह से अधिक समय तक रहती है इस खांसी को लगातार खांसी भी कहा जाता है
बलगमी खांसी -इस प्रकार की खांसी मे बलगम आता है जो संक्रमण या जुकाम का कारण हो सकता है यह खांसी श्वसन तंत्र मे संक्रमण का संकेत देती है यह खांसी ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का संकेत देती है बलगमी खांसी तपेदिक का भी संकेत देती है इस खासी को गीली खांसी भी कहा जाता है
तीव्र खांसी – यह खांसी अचानक से शुरू हो जाती है और दो से तीन सप्ताह तक रहती है
उपतीव्र खांसी-यह खांसी संक्रमण होने के बाद भी बनी रहती है यह खांसी तीन से आठ सप्ताह तक बनी रहती है
दुर्दम्य खांसी-यह एक ऐसी खांसी है जो दीर्घकाल तक बनी रहती है जो उपचार से भी ठीक नही होती है

खाँसी किन – किन कारणों से होती है ?

खांसी के अनेक कारण है ऐसी कई चीज़े है जिनके कारण आपको खांसी होने की संभवना हो जाती है खांसी का सबसे आम कारण एलर्जी या मौसमी बदलाव हो सकता है खांसी के कुछ कारण है —
विषैला धुआँ
तेज गंध पदार्थ
सर्दी या फ्लू
वायरल संक्रमण
बहुत ज्यादा प्रदूषण
दमा या टीबी रोग के कारण
घुल भरा स्थान
पालतू पशुओं की रूसी
रक्तचाप की दवाएं जिन्हें ACE अवरोधक कहा जाता है।
बुखार का होना
निमोनिया होना
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का होना
हृदय विफलता
अस्थमा होना
बहुत ज्यादा धूम्रपान करना
एलर्जी: धूल, परागकण अन्य एलर्जन्स के कारण भी खांसी हो सकती है।
फेफड़ों का कैंसर

खांसी होने पर क्या क्या लक्षण दिखाई देते है ?

खांसी एक सामान्य लक्षण है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है जो गले या फेफड़ो मे जलन के कारण हो सकती है किसी प्रकार का संक्रमण या किसी प्रकार के एलर्जी के कारण होती है यह एक प्रकार का रिफ्लेक्स होता है जिसमे हमारा शरीर गले और श्वसन तंत्र बलगम, धूल, धुआँ कुछ और अवरोधक तत्वों को बाहर निकालने का प्रयास करता है खांसी एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है खांसी के प्रत्येक प्रकार के साथ अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं जब हम खांसते हैं, तो यह शरीर का एक रक्षात्मक तंत्र होता है, जो हमारे फेफड़ों और श्वसन नलियों को साफ रखता है।खांसी की समस्या लंबे समय तक बनी रहने या बार-बार होने पर यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का लक्षण हो सकती है खांसी के लक्षणों को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि खांसी के कई प्रकार होते हैं, और प्रत्येक प्रकार के साथ अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं खांसी के लक्षण उसके कारणो पर निर्भर करते है आमतौर पर खांसी के बहुत से लक्षण देखने को मिलते है।
गले मे दर्द होना
गले मे खराश
बहुत तेज बुखार होना
सिर मे दर्द होना
उल्टी आना
छाती मे दर्द
सांस लेने मे कठिनाई
कफ या बलगम का निकलना
सांसो की बदबू
थकान और कमजोरी
खून आना
फेफड़ो मे दर्द
फेफड़ो मे सूजन
ज्यादा दिनों तक बुखार होना
निगलने मे समस्या
साइनस मे इंफेक्शन
नाक बहना
खांसी होने पर सभी व्यक्तियों मे अलग अलग प्रकार के लक्षण देखने को मिलते है खासी कभी भी किसी भी व्यक्ति को समय किसी को समय हो सकती है अगर खांसी की बीमारी ज़्यादा समय से हो तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक बीमारी साबित हो सकती है इसलिए हमे समय पर इस बीमारी की जाँच करवा लेनी चाहिए और इसका उचित उपचार करवाना चाहिए।

खांसी की जांच करवानी चाहिए या नहीं ?

खांसी हो जाने पर किसी भी व्यक्ति को उसकी जाँच करवानी बहुत जरूरी होती है सबसे पहले डॉक्टर मरीज के चिकित्सीय इतिहास और खांसी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं।खांसी का प्रकार, अवधि, समय, और अन्य संबंधित लक्षणों के बारे मेजानकारी ली जाती है इसके बाद फेफड़ों और छाती की जांच की जाती है। डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से सांस औरमरीज की आवाज का करते हैं। यदि खांसी सामान्य सर्दी के कारण होती है तो कुछ दिनों मे ठीक हो जाती है लेकिन यदि खांसी लंबे समय की है खांसी के साथ आपको बुखार ,खून आना या साँस लेने मे कठिनाई होती है खांसी के साथ आपको कफ या बलगम आता है सिर मे दर्द होता है थकान या कमजोरी महसूस होती है छाती मे दर्द होता है तो चिकित्स्कीय जाँच की आवश्यकता होती है खांसी की जाँच के लिया निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं-

  1. चेस्ट एक्स -रे : खांसी का यह टेस्ट फेफड़ो मे किसी भी प्रकार का संक्रमण ,सूजन और अन्य समस्याओ का पता लगाने के लिए किया जाता है
    इस एक्स-रे की मदद से फेफड़ों और छाती की स्थिति का निरीक्षण किया जाता है।
    टीबी, निमोनिया ,ब्रोंकाइटिस ,और फेफड़ो के कैंसर का पता लगाया जाता है
  2. सीटी स्कैन -यदि एक्स रे किसी प्रकार की बीमारी का पता नही लगे तो डॉक्टर सीटी स्कैन कराने की सलाह देते है
    यह जाँच श्वसन तंत्र की गहराई से जानकारी देने के लिए होती है और फेफड़ों और श्वसन नली के सूक्ष्म
    विवरण का पता लगाने के किया जाता है
    सिटी स्कैन फेफड़ो मे सूजन गांठ या ट्यूमर जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है
  3. स्पुटम टेस्ट -इस प्रकार के टैस्ट मे कफ के नमूने की जाँच की जाती है
    इस जाँच से फेफड़ो मे किसी प्रकार वायरस ,फंगस ,बैक्टीरिया संक्रमण का पता लगाया जाता है
    जब किसी व्यक्ति को टीबी या निमोनिया हो जाता है जब यहज टेस्ट करवाना जरूरी होता है
  4. एलर्जी टैस्ट – यदि रोगी की खांसी का कारण एलर्जी है तो एलर्जी टेस्ट से यह पता लगाया जाता है की शरीर की एलर्जन के प्रति सवेदनशील है।
    यह टेस्ट त्वचा या रक्त की जाँच द्वारा किया जाता है
  5. रक्त परीक्षण – यदि रोगी किसी अन्य बीमारी से संक्रमित है या अन्य बीमारी का संदेह होता है ,तो डॉक्टर रक्त के जाँच करता है
    रक्त जाँच से रोगी के शरीर मे संक्रमण ,एलर्जी किसी प्रकार की सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली की जाँच की जाती है
  6. ओक्सिमीट्री टैस्ट – यह एक ऐसा टेस्ट है जो बहुत ही सरल तरीके से किया जाता है इस टेस्ट मे रोगी की उंगली पर एक छोटा सा सेंसर लगाकर शरीर मे ऑक्सीजन की की मात्रा मापी जाती है
    खांसी होने पर रोगी को सांस लेने मे कठिनाई होती है तो ऑक्सीजन के स्तर की जाँच की जाती है

खांसी का उपचार किन किन तरीको से किया जा सकता है ?

खांसी का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। खांसी होने पर शुरू मे लोग घरेलू उपाय से ठीक करने की कोशिश करते है खांसी का उपचार दो तरीको से किया जाता है

  1. खांसी का घरेलू उपचार
  2. चिकित्स्क द्वारा उपचार

खांसी का घरेलू उपचार –

हल्की खांसी के लिए घेरलू उपचार बहुत ही फयदेमंद होता है-

  • शहद -यदि रोगी को सूखी खांसी हो जाती है तो रोगी को एक चम्चच शहद के साथ गरम दूध दे सकते है
  • तुलसी -रोगी को खांसी होने पर तुलसी की पत्त्तियो का काढ़ा बनाकर पीला सकते है
  • अदरक-रोगी को बार- बार खांसी आना पर आप रोगी को अदरक के टुकड़ो चबाने के लिए दे सकते है
  • अजवायन -अजवायन बलगम को बाहर निकलने का कम करती है
  • नमक -नमक कफ को ढीला करने मे सहायता करता है और सूखी खांसी ठीक करने मे हमारी मदद करता है
  • स्टीम या भांप लेना -स्टीम या भांप लेना खांसी या वायुमार्ग को तुरंत साफ करने मे रोगी की मदद करता है

चिकित्स्क द्वारा उपचार –

यदि रोगी को खांसी एलर्जी, संक्रमण, या अन्य किसी कारण से है, तो डॉक्टर एंटीहिस्टामिन, एंटीबायोटिक्स, या कफ सिरप लिख सकते हैं

एंटीहिस्टामिन्स-एलर्जी से होने वाली खांसी के लिए उपयोगी होती हैं।कफ सिरप:सूखी या गीली खांसी के लिए लाभकारी है

एंटीबायोटिक्स-
यदि खांसी का कारण बैक्टीरिया संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स का प्रयोग करते हैं।

फिजियोथेरेपी-
यदि खांसी लंबे समय तक बनी रहती है, तो फिजियोथेरेपी के जरिएरोगी के श्वसन तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।

खांसी से बचने के क्या क्या उपाय है ?

खांसी से बचने कुछ उपाय निम्नलिखित है –

  • आप अपने हाथो को नियमित रूप से धोना और साफ सुथरे कपड़े पहनना खांसी रोग से बचने के लिए जरूरी है
  • किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है
  • किसी भी व्यक्ति को जो धूम्रपान करता है उससे बचना चाहिए धूम्रपान से फेफड़ों को नुकसान होता है और खांसी की समस्या बढ़ सकती है
  • किसी भी व्यक्ति जिसको किसी खास वस्तु, भोजन या वातावरण से एलर्जी है, तो उससे बचने का प्रयास करना चाहिए

निष्कर्ष-

खांसी एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है खांसी किसी भी समय किसी भी व्यक्ति हो सकती है अगर खांसी हल्की होती है तो इसे घरेलू उपचार से भी ठीक किया जाता है लेकिन यह कभी-कभी गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती है। खांसी के कारण और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर विभिन्न प्रकार की जांचें करते हैं। खांसी साधारण सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों तक का संकेत हो सकती है, इसलिए लंबे समय तक बनी रहने वाली खांसी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर जांच कराकर सही उपचार से खांसी और उससे संबंधित समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।

 

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