पीरियड्स क्या है? और क्यों होते है,कब शुरू होता है ?
मासिक धर्म जिसे अंग्रेजी में पीरियड्स कहा जाता है। और यहां प्राकृतिक की देंन है। कोई भी महिला मासिक धर्म के बिना माँ नहीं बन सकती। और बच्चे को जन्म नहीं दें सकती। इस लिए महिलाओं में मासिक धर्म का होना बहुत जरुरी है। महिलाओं का शरीर गर्भधारण करने की क्षमता हासिल करने की पहली स्टेप को पार कर चुका है। पीरियड्स के बारे में इसका क्या मतलब है। क्यों होता है। और कब शुरू होता है? ये सभी सवाल के जवाब जान लें।
पीरियड्स क्या हैं ?
पीरियड्स का आरंभ होना और यौवनावस्था का एक साथ आरंभ होना है। यौवन अवस्था के आरंभ होते ही बच्चों के जननांग का विकास शुरू हो जाता है। इस दौरान बच्चों के शरीर के कई हिस्सों में बाल आने शरू हो जाते है। इस अवस्था में लड़कों के टेस्टिस शुक्राणु उत्पन्न करने वाला अंग में स्पर्म उत्पन्न होता है। और लड़कियों में पीरियड्स शुरू होता है। जिससे वे गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती हैं। पीरियड्स के दौरान महिला की योनि से रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) होता है। जब कोई लड़की मेच्योर होने लगती है। तो उसका शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार होने लगता है। जब वह यौवन में प्रवेश करती है। तो उसके शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। जिससे मासिक धर्म का चक्र शुरू होता है।
लड़कियाँ में पहला पीरियड्स कब आना चाहिए ?
- पहले पीरियड को मिनार्की कहते हैं।
- ज्यादातर लड़कियाँ दस से चौदह साल की उम्र के बीच अपना पहला पीरियड अनुभव करती है। औसत उम्र लगभग 12 साल होती है। आपके पहले पीरियड की शुरुआत की तारीख को सटीक रूप से बताना काफी मुश्किल है। यह आमतौर पर यौवन के शुरुआती लक्षणों जैसे कि स्तनों का विकास, और बालों का उगना विकास के लगभग एक साल बाद होता है। आप निश्चित रूप से अपने पीरियड से पहले के कुछ महीनों में योनि से सफ़ेद या पीले रंग का स्राव देखेंगे।
- अगर बच्चे को यौवन अवस्था प्राप्त होने से पहले मासिक धर्म हो जाता है। तो माता-पिता और देखभाल करने वाले डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं।
- मासिक धर्म आने से पहले स्तनों का विकास बाहों के नीचे और गुप्तांगों में बाल उगना और योनि से सफ़ेद या पीले रंग का स्राव जैसे संकेत दिखते हैं।
- अगर 15 साल की उम्र तक या 13 साल की उम्र तक अगर आपको यौवन के कोई अन्य लक्षण नहीं दिखते तो डॉक्टर से मिलें।
- मासिक धर्म में देरी के संभावित कारणों में कम वज़न, ज़्यादा व्यायाम, तनाव, और हॉर्मोन असंतुलन शामिल हैं।
- जब पहली बार पीरियड के लक्षणों की बात आती है। तो आपको थोड़ी सी असुविधा का अनुभव हो सकता है।आम पहली बार पीरियड के लक्षणों की सूची में शामिल हैं।
- पेट के निचले हिस्से में ऐंठन।
- स्तनों में कोमलता।
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द।
- जी मिचलाना।
- दस्त।
- चक्कर आना।
- पहली बार मासिक धर्म के ये लक्षण ज़्यादातर लंबे समय तक नहीं रहते।
पीरियड्स में ब्लीडिंग कम होने के कारण ?
- ज्यादा व्यायाम करना बहुत ज्यादा व्यायाम करने से हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
- हॉर्मोनल असंतुलन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन, पीरियड चक्र को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें असंतुलन होने से पीरियड्स में कम ब्लीडिंग हो सकती है।
- पोषक तत्वों की कमी का कारण।
- अत्यधिक तनाव या डिप्रेशन।
- लंबी बीमारी से प्रभावित होना।
- गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में विकार।
- एथलीट्स जैसे व्यायाम करने वाले महिलाओं में यह समस्या अधिक हो सकती है।
- तनाव और मानसिक स्वस्थ लंबे समय तक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं पीरियड प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।
- महिलाओं के लिए मासिक धर्म की शुरुआत में 1 से 2 वर्षों में कई बार लाइट ब्लीडिंग का
होना सामान्य होता है। लेकिन यदि यह बार-बार हो रहा है लंबे समय तक चल रहा है। तो इस की वजह से गर्भाशय संबंधी विकार हार्मोनल असंतुलन, उपयोगी पोषक तत्वों की कमी से और अधिक तनाव हो सकता है। ऐसे लक्षणों को सामान्य नहीं समझना चाहिए। और तुरन्त उपचार करना चाहिए।
पीरियड्स के नहीं होने पर क्या करें ?
- समय पर खाना ना खाने से भी यह समस्या हो सकती है।
- ज्यादा मोटापा की वजह से भी महिलाओं के पीरिड्स मिस हो जाते है
- पीरियड्स मिस होने पर सबसे पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना चाहिए।
- भोजन में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का मिलना भी जरुरी है।
- पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
- अगर कुछ दिनों तक पीरियड्स नहीं आते। तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- अगर आपको लगातार तीन या उससे ज़्यादा महीनों तक पीरियड्स मिस होते हैं। तो अपने स्वास्थ्य सेवा केंद्र पे जाए और जाँच करवाएं।
- ज्यादा मात्रा में तेलीय, मीठा और फैटी फ़ूड से दूर रहें।
- जीवनशैली को नियंत्रित करके भी पीरियड्स को रेगुलर किया जा सकता है।
पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग ?
- HIV, रूबेला, मंप्स जैसी बीमारियां ये बीमारियां रक्त को पतला कर सकती हैं। और पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं।
- रक्त पतला करने वाली दवाएं रक्त पतला करने वाली दवाएं और पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं।
- गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर की वजह से भी पीरियड्स के दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
- स्वस्थ पीरियड्स पांच से सात दिनों तक चलते है। अगर इस दौरान अधिक ब्लीडिंग होती है। या पीरियड्स सात दिनों से अधिक चलते है। यह बीमारी का सकते हो सकता है। कई बीमारी रूप धारण कर लेती है। जैसे गर्भाशय या अंडाशय से जुडी बीमारी, हार्मोन असंतुलन, या खून की कमी के कारण भी हो सकता है।
- जब किसी महिला को इस तरह की समस्या होती है। तो वह जल्दी से किसी अच्छे जानकर से मिलना चाहिए। और या समस्या ख़तरा पैदा कर सकती है। इससे महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी हो सकती है।
मेनोपॉज किसे कहते हैं:-
महिला की ऐसी अवस्था जब उसके पीरियड्स बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज कहलाता है। “जब महिला की उम्र 45 से 55 के बीच पहुंच जाती है। तो अंडाशय में अंडे बनना बंद हो जाते हैं। और गर्भाशय में परत का बनना भी बंद हो जाता है जिससे माहवारी नहीं होती है। मेनोपॉज के दौरान महिला को गर्मी का ज्यादा अनुभव होता है। बाल झड़ने की समस्या देखी जा सकती है। योनि में रूखापन आने लगता है। और इसके अलावा शरीर में और भी कई बदलाव होने लगते हैं।