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अस्थमा (दमा) रोग क्या है ? इसके कारण और लक्षणों के बारे में जानिए ?

अस्थमा (दमा) रोग क्या है ? इसके कारण और लक्षणों के बारे में जानिए ?

अस्थमा रोग एक भयानक रोग है। यह रोग श्वसन प्रणाली का रोग है। यह रोग फेफड़ो से संबधित है। यह रोग हो जाने पर रोगी को साँस लेने मे कठिनाई होती है। और रोगी का साँस फूलने लगता है।और रोगी का वायुमार्ग सूज जाता है। यह रोग हो जाने पर रोगी की किडनी खराब हो जाती है। इस रोग के कारण रोगी के कारण रोगी को खून की कमी हो जाती है। और कई बार ह्रदय रोग भी हो जाता है।यह रोग हो जाने पर रोगी को दौरा भी पड़ सकता है अस्थमा रोग कई प्रकार का होता है। यह रोग वयस्कों ,बच्चो किसी को भी हो सकता है। यह रोग तम्बाकू का प्रयोग करने से भी हो जाता है।अस्थमा रोग उन लोगो को बहुत अधिक होता है। जो धुंए वाले क्षत्रो मे काम करते है। मनुष्य के शरीर मे वायु मार्ग को परेशान करने वाली कुछ विषैली चीजों के संपर्क मे आने से से भी अस्थमा रोग हो जाता है। यह रोग छोटे बच्चो के लिए बहुत हानिकारक होता है बच्चो को यह रोग हो जाने पर ,उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। अस्थमा रोग हो जाने पर रोगी को घरघराहट ,खांसी और सीने में दर्द होने लगता है। अस्थमा रोग एक ऐसा रोग है। जिसको पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। कुछ हद तक इसका इलाज किया जाता है।

अस्थमा रोग हो जाने पर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते है ?

अस्थमा रोग हो जाने हो जाने पर अनेक लक्षण दिखाई देते है।अस्थमा रोग के लक्षणों के प्रकट होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। अस्थमा रोग के लक्षणों के लक्षण कुछ इस प्रकार से है-

  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी का साँस फूलने लगता है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी के सीने मे दर्द होने लगता है।
    अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को साँस लेने या छोड़ने मे कठिनाई होती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को खांसी हो जाती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को बहुत अधिक थकान होती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को नींद नहीं आती है। और रोगी को साँस लेते समय घरघराहट होती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को बोलते समय कठिनाई होती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी के नाखून और होंठ नीले पड़ जाते है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,साँस लेते समय रोगी की पसलियां खींचने लगती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी के वायुमार्ग में रुकावट पैदा हो जाती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी की ब्रोन्कियल नलियाँ सूज जाती है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को कई बार दौरे भी पड़ने लगते है।
  • अस्थमा रोग हो जाने पर,रोगी को घबराहट और चिंता भी हो जाती है।

अस्थमा रोग कितने प्रकार का होता है ?

अस्थमा रोग के बहुत से प्रकार है। जो की निम्नलिखित है–

  1. एलर्जिक अस्थमा
    यह अस्थमा रोग एलर्जी के कारण होता है। जब व्यक्ति के साँस लेते समय वायुमार्ग में कुछ धूल के कण ,अन्य हानिकारक कण चले जाते है। तो व्यक्ति को साँस लेने मे परेशानी होती है और वायुमार्ग सूज जाता है।
  2. व्यायाम से प्रेरित अस्थमा
    यह अस्थमा शारीरिक गतिविधियों जैसे-व्यायाम के दौरान या तुरंत बाद सांस फूलना,सीने में जकड़न और खांसी व्यायाम से प्रेरित अस्थमा के लक्षण हो सकते है।
  3. रात का अस्थमा
    यह रोग हो जाने पर रोग के लक्षण रात मे दिखाई देते है। जैसे रात के समय खांसी, साँस फूलना, और सीने में जकड़न होना। जिसके कारण रोगी को नींद की समस्या हो जाती है।
  4. व्यवसायिक अस्थमा
    यह अस्थमा रोग तब होता है जब व्यक्ति किसी कारखाने ,उद्योग या धूल-भरे वातावरण मे काम करता हो।
  5. कोउग-वेरिएंट अस्थमा
    इस प्रकार का अस्थमा रोग जब होता है। व्यक्ति को लगातार सूखी खांसी होती है।

अस्थमा रोग किन किन कारणों से होता है ?

अस्थमा रोग होने के बहुत से कारण है। जिनके कारण लोगो को अस्थमा रोग हो जाता है।

  1. एलर्जी होने के कारण
    अस्थमा रोग का एलर्जी सबसे पुराना कारण है। व्यक्ति को जिन चीजों से एलर्जी उन चीजों के सम्पर्क मे आने से व्यक्ति को अस्थमा हो जाता है।
  2. धूम्रपान के कारण
    बहुत से लोग धूम्रपान बहुत ज्यादा मात्रा मे करते है। उन लोगो को धूम्रपान के कारण अस्थमा रोग होने खतरा होता है।
  3. अनुवांशिकी के कारण
    अस्थमा रोग को अनुवांशिक रोग भी बताया गया है। यह रोग अगर परिवार के सदस्य है। तो आगे इसके होने के सम्भवना अधिक होती है।
  4. मानसिक तनाव के कारण
    बहुत से लोगो मानसिक तनाव ज्यादा होता है। जैसे -भावनात्मक तनाव, चिंता, डर, या हँसी आदि अस्थमा रोग के लक्षण को बढ़ावा देते है। मानसिक तनाव होने से व्यक्ति की फेफड़ों की कार्यक्षमता कमजोर होती है।
  5. वातावरणीय कारको के कारण
    वातावरणीय कारको के कारण भी अस्थमा रोग होने का खतरा रहता है। वातावरणीय कारक जैसे – वायु प्रदूषण ,धुएं का संपर्क ,रसायनों का संपर्क आदि कारणो से भी अस्थमा रोग हो जाता है।
  6. व्यवसायिक कारको के कारण
    व्यवसायिक कारको से भी बहुत से लोगो को अस्थमा रोग हो जाता है। यह अस्थमा रोग तब होता है। जब व्यक्ति किसी कारखाने ,उद्योग या धूल-भरे वातावरण मे काम करता हो।
  7. अत्यधिक मोटापा
    किसी भी व्यक्ति का वजन बढ़ने के कारण उसके फेफड़ो पर दबाव बढ़ जाता है। जिसके कारण उस व्यक्ति को साँस लेने मे कठिनाई होती है। मोटापे के कारण भी बहुत से लोगो को अस्थमा रोग हो जाता है।
  8. हार्मोनल परिवर्तन
    हार्मोन परिवर्तन के कारण महिलाओ को अस्थमा रोग होने का खतरा होता है।

अस्थमा रोग का इलाज कैसे किया जाता है ?

अस्थमा रोग का इलाज संभव नहीं है। लेकिन कुछ हद तक इस रोग का इलाज किया जा
सकता है। ताकि रोगी व्यक्ति अपना जीवन जी सके। अस्थमा रोग का इलाज दवाइयों के प्रयोग से किया जाता है।

अस्थमा रोग निम्न तरीको से किया जाता है –

  1. दवाइयाँ
    अस्थमा रोग हो जाने पर रोगी को ऐसी दवाइयों का सेवन करना चाहिए। जो रोगी के वायुमार्ग को खोलती है।और जिससे रोगी को साँस लेने आसानी होती है। कुछ दवाइया ऐसी होती है। जिनके कारण अस्थमा के लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है।
  2. इनहेलर
    अस्थमा रोग हो जाने पर इनहेलर उपकरण का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से दवा सीधे फेफड़ों मे पहुंच जाती है।
  3. एंटी-एलर्जिक दवाइयों का प्रयोग करके
    एंटी-एलर्जिक दवाइयों का प्रयोग करके ,एलर्जी के कारणों और अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
  4. जीवनशैली में बदलाव करके
    जीवनशैली में बदलाव मे बदलाव से भी अस्थमा रोग से बचा जा सकता है। जैसे -धूम्रपान से बचना,वजन नियंत्रित रखना,नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना
  5. पीक फ्लो मीटर का प्रयोग करके
    यह एक ऐसा उपकरण है। जिसके द्वारा श्वसन की गति मापी जाती है। इस उपकरण की मदद से फेफड़ों की कार्यक्षमता पर ध्यान रखा जा सकता है।
  6. अस्थमा एक्शन प्लान का प्रयोग करके
    अस्थमा रोग हो जाने पर एक एक्शन प्लान बनायाजा सकता है। जिसके दौरान अस्थमा रोग होने पर उसके लक्षणों की पहचान, दवाइयों का सही उपयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार किया जाता है।

 

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