हृदय रोग क्या है? यह किस प्रकार से होता है ?
हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। हृदय मानव शरीर मे रक्त संचरण का काम करता है। हृदय के बिना मानव शरीर एक मृत शरीर है। अगर मानव शरीर मे हृदय कुछ समय काम न करे। तो मनुष्य की मौत भी हो सकती है। हृदय रोग मानव शरीर मे एक रोगो का समूह है। हृदय रोग ,हृदय को बहुत प्रभावित करता है। हृदय रोग जब होता है। जब मानव शरीर की धमनियों मे किसी कारण से कोई रुकवाट पैदा हो जाती है। हृदय रोग कुछ लोगो को आनुवंशिक कारणो से भी होता है। ह्रदय रोग हो जाने पर रोगी को नियमित चिकित्सा परामर्श और दवाओं का सेवन करना चाहिए। हृदय रोग हो जाने पर रोगी को इसका तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए
हृदय रोग कितने प्रकार का होता है ?
हृदय रोग सभी लोगो को अलग अलग प्रकार के होते है। हृदय रोग कुछ इस प्रकार के होते है
- हार्ट अटैक
हार्ट फेलियर - एनजाइना
- दिल में छेद
- एथेरोस्क्लेरोसिस
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज
- अनियमित दिल की धड़कन
- हृदय वाल्व रोग
- रूमेटिक हार्ट डिजीज
- पेरिफेरल आर्टरी डिजीज
- कार्डियोमायोपैथी
- सेरेब्रोवास्कुलर डिजीज
हृदय रोग किन-किन कारणों से होता है ?
हृदय रोग सभी लोगो को अलग अलग कारणों से होता है ?
- अस्वस्थ आहार-
हृदय रोग अधिक वसा कोलेस्ट्रॉल और नमक का बहुत अधिक का सेवन करने से एक चर्बी की एक परत धमनियों में जम जाती है। - धूम्रपान और तंबाकू
हृदय रोग तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचता है।और हृदय पर दबाव बढ़ता है। - मधुमेह
मधुमेह रोग हो जाने पर रोगी को हृदय रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है। मधुमेह व्यक्ति के खून में शर्करा के स्तर को बढ़ाता है। - मोटापा
किसी भी व्यक्ति के अधिक मोटापे के कारण भी उसको हृदय रोग का खतरा बहुत अधिक रहता है। - मानसिक तनाव
बहुत लंबे समय तक तनाव हृदय पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। जिसके कारण व्यक्ति का कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।और रोगी को हृदय रोग हो सकता है। - उम्र बढ़ना
किसी भी व्यक्ति को उम्र बढ़ने पर हृदय रोग हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ धमनियां
कठोर हो जाती हैं और इसके कारण रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। और ह्रदय रोग हो सकता है। - आनुवंशिकता के कारण
हृदय रोग कुछ लोगो को आनुवंशिक कारणो से भी होता है। यदि परिवार मे किसी को हृदय रोग है। तो उनके बच्चो को हृदय रोग होने का खतरा होता है।
हृदय रोग होने पर क्या क्या लक्षण दिखाई देते है ?
किसी भी व्यक्ति को हृदय रोग होने पर अनेक लक्षण दिखाई पड़ते है कुछ लक्षण इस प्रकार से है।
- सीने में दर्द होना
हृदय रोग होने पर रोगी के सीने मे दर्द होने लगता है। इस रोग को एंजाइना कहते है। यह दर्द छाती के बीच में या बाईं और भी हो सकता है। - सांस फूलना
हृदय रोग होने पर रोगी रोगी का साँस फूलने लगता है। जिससे हृदय सही रूप से रक्त पंप नहीं कर पाता है। - चक्कर आना या बेहोशी
हृदय मे रक्त का संचरण सही प्रकार से न होने से रोगी को कई बार चक्कर आने लगते है। और कई बार रोगी बेहोश भी हो जाता है। - पैरों और टखनों का सूज जाना
जब किसी व्यक्ति का हृदय, रक्त को सही से पंप नहीं करता , तो मनुष्य के शरीर में द्रव इकट्ठा होने लगता है, जिससे पैरों और टखनों में सूजन आ जाती है। - धड़कने अनियमित होना
हृदय रोग हो जाने पर रोगी की दिल की धड़कनें तेज, धीमी, या अनियमित हो सकती हैं। इसे पलपिटेशन भी कहा जाता है। यह दिल के रोग का संकेत हो सकता है। कई बार रोगी को बिना किसी कारण के अधिक पसीना आना भी हृदय रोग का एक लक्षण है, - थकान या कमजोरी
हृदय रोग हो जाने पर रोगी व्यक्ति के शरीर मे जब हृदय तक पर्याप्त मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती ,तो रोगी को बहुत अधिक थकान और कमजोरी महसूस होती है।
हृदय रोग होने पर इसका उपचार कैसे किया जाता है ?
हृदय रोग होने पर इसका उपचार निम्न तरीको से किया जाता है।
- दवाइयाँ
हृदय रोग हो जाने पर ,रोगी को डॉक्टर से दवाइयाँ लेनी चाहिए कुछ दवाइयाँ निम्न प्रकार की हो सकती है।
ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाइयाँ।
कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाइयाँ।
एंटी-एरिथमिक्स दवाइयाँ।
ब्लड थिनर्स दवाइयाँ।
नाइट्रोग्लिसरीन दवाइयाँ। - रेगुलर चेकअप और मॉनिटरिंग
हृदय रोग हो जाने पर रोगी को नियमित रूप से डॉक्टर से मिलते रहना जरूरी होता है। रोगी को ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की नियमित जांच करानी चाहिए। - लाइफस्टाइल में बदलाव
हृदय रोग हो जाने पर रोगी को संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। इस रोग में रोगी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। - सर्जरी
हृदय रोग हो जाने पर रोगी को,दिल के वॉल्व की मरम्मत या उसे बदलने जैसी समस्याओ मे सर्जरी की जरूरत पड़ती है। ह्रदय रोग एक बहुत ही गंभीर बीमारी है इसका इलाज करवाना बहुत ही जरुरी है
ह्रदय रोग हो जाने पर इसकी जांच कैसे की जाती है ?
ह्रदय रोग हो जाने पर इसकी जांच निम्न प्रकार के टेस्ट से की जाती है।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानी ईसीजी टेस्ट के द्वारा।
- इकोकार्डियोग्राम टेस्ट के द्वारा।
- कोरोनरी एंजियोग्राफी टेस्ट के द्वारा।
- स्ट्रेस टेस्ट के द्वारा
इस प्रकर के टेस्टो के द्वारा हृदय रोग की जाँच की जाती है। और रोगी फिर रोग के आधार पर रोगी का इलाज किया जाता है।
निष्कर्ष
हृदय रोग हो जाने पर इसका उपचार करवाना और इसकी उचित देखभाल करना बहुत जरूरी होती है। ह्रदय रोग हो जाने पर रोगी को नियमित चिकित्सा परामर्श और दवाओं का सेवन करना चाहिए। ह्रदय रोग होने पर इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हृदय रोग हो जाने पर रोगी को इसका तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए