महिलाओं में बवासीर क्या है? प्रकार, लक्षण, कारण जानते है।
बवासीर एक आम बीमारी है। जो महिलाओं और पुरषों दोनों में होती है। महिलाओं में बवासीर तब होती है। जब मलाशय या गुदा की नसें सूज जाती है। और उनमें सूजन आ जाती है। जिससे असुविधा और दर्द होता है। गुदा में दर्द, बलगम के जैसा रिसाव, रक्त हानि, मलाशय क्षेत्र में दबाव की भावना। महिलाओं के लिए ,बवासीर एक विशेष रूप से असुविधाजनक और शर्मनाक स्थितिहो सकती है। जिससे मासिक धर्म, गर्भवस्था के दौरान दर्द और परशानी हो सकती है। इसके अतिरिक्त,बवासीर से जुड़ी कलंक महिलाओं के लिए मदद और सहायता प्राप्त करना मुश्किल बना सकती है। और यहाँ तक की रोका भी जा सकता है। जिससे महिलाएँ भी बेहतर जीवन का आनंद ले सकती है।
महिलाओं में बवासीर के प्रकार:-
महिलाओं में बवासीर को मलाशय क्षेत्र में सूजी हुई नसों के स्थान और गंभीरता के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए बवासीर के विभिन्न प्रकारों को समझना महत्वपूर्ण है। बवासीर के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं_
1. बवासीर दो प्रकार की होती है। खूनी बवासीर और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। यह बवासीर पुरषों और महिलाओं में दोनों में हो सकती है।
2. खुनी बवासीर का एक प्रकार है। जिसमें मल त्याग के दौरान रक्त आता है। बवासीर के अन्य लक्षण ये है।
3. गुदा के आस-पास सूजन या दर्द और परेशानी।
4. बैठने या किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान अचानक दर्द होना।
5. शौच के बाद रक्त हानि।
6. कब्ज भी हो जाती है।
7. गुदा के असा-पास खुजली होना।
8. बवासीर एक गंभीर बीमार है। जो गुदा या मलाशय को प्रभावित करती है। इसमें गुदा या उसके असा-पास के भाग में नसों में सूजन आ जाती है।
महिलाओं में बवासीर के लक्षण:-
महिलाओं में बवासीर के हल्के लक्षण हो सकते है। जो अपने आप ठीक हो जाते है। लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। महिलाओं में बवासीर के कुछ लक्षण इस प्रकार है_
1. गुदा के असा-पास सूजन या दर्दनाक गांठ।
2. अधूरे मल त्याग की भावना बवासीर के कारण होने वाली यह भावना परेशान करने वाली हो सकती है। मल त्याग के बाद भी यह डर बना रहा सकता है।
3. मल त्याग के दौरान दर्द और परेशानी होना।
4. शौच के बाद रक्त आने लगता है कुछ मामलों में बवासीर के कारण मल त्याग के बाद रक्त आना शुरू हो जाता है।
5. बैठने या किसी शरीरिक गतिविधि के दौरान अचानक से दर्द होना।
6. मल में खून आना बवासीर के कारण मल त्याग के दौरान खून आ सकता है। जो मल में या टॉयलेट पेपर पर दिखाई दे सकता है। रक्तस्राव आमतौर पर चमकदार लाल होता है और आमतौर पर गंभीर नहीं होता है।
7. शौच करते समय चिपचिपा तरल पदार्थ का निकलना।
8. सूजन या दर्दनाक गांठें बवासीर गुदा के भाग में सूजी हुई नसें होती है। जो दर्दनाक गांठ या सूजन पैदा कर सकती है। ये गांठें गुदा की अंदर या बाहर हो सकती है। और इनका आकर छोटा या बड़ा हो सकता है।
9. गुदा के असा-पास खुजली।
10. मोटा होना।
11. लगातार दस्त या कब्ज़ रहना।
12. लंबे समय तक बैठे रहना।
महिलाओं में बवासीर के कारण:-
आमतौर पर बवासीर मलाशय और गुदा गुहा के निचले हिस्से में दबाव बढ़ने के कारण होता है। जिससे नसें बाहर निकल जाती है और गांठों में बदल जाता है। महिलाओं में बवासीर के अनेक कारण है_
1. गर्भवस्था के दौरान श्रोणि पर दबाव बढ़ने से बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।
2. मल त्याग करते समय जोर लगाना कब्ज के कारण ऐसा होता है। जोर लगाने के कारण मलाशय और गुदा के निचले हिस्से में नसों पर दबाव बढ़ जाता है इससे नसों में सूजन हो जाती है जिससे बवासीर हो जाती है।
3. कब्ज के कारण मल त्यागने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। जिससे मलाशय और गुदा की नसों पर दबाव पड़ता है। और बवासीर हो सकती है।
4. लंबे समय तक बैठे रहना या खड़े रहना जब हम लंबे समय तक बैठते या खड़े रहते है। तो शरीर के निचले हिस्से में रक्त बहाने लगता है। जिससे नसें सूज जाती है।
5. तनाव से गुदा या मलाशय की नसों पर दबाव पड़ता है। और बवासीर हो जाती है।
6. कम फाइबर वाला आहार और पानी का कम सेवन करने से बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।
7. अधिक वज़न बढ़ना अक्सर गर्भावस्था के दौरान पैल्विक दबाव के कारण महिलाओं में बवासीर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
8. दस्त और जलन भी बवासीर का एक कारण हो सकता है।
9. अनुवांशिकता भी बवासीर का एक कारण हो सकती है।
10. जिन लोगों को रोज़ाना घंटों खड़े रहना पड़ता है। जैसे कि बस कंडक्टर, ट्रैफ़िक पुलिस, जिन्हें भारी वज़न उठाने पड़ते हैं। उनमें बवासीर होने की संभावना ज़्यादा होती है।
महिलाओं में बवासीर के रोकथाम:-
महिलाओं में बवासीर को रोका जा सकता है। जीवनशैली की आदतों को अपना कर रोका जा सकता है। नीचे कुछ उपाय दिए गए है जिनका पालन करके महिलाओं में बवासीर को रोका जा सकता है। ये महिलाओं में मौजूदा बवासीर के इलाज के लिए भी लागू होते हे। इनमें से कुछ इस प्रकार है_
1. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
2. शौचालय पर ज्यादा देर न बैठें और ज्यादा जोर न लगाएं।
3. आपको प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए ऐसा करने से आपको वजन कम करने में मदद मिल सकती है। जो बवासीर का कारण हो सकता है।
4. आपको डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए है। की आपको कौन सा व्यायाम सूट करता है। जैसे गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक मेहनत नहीं करनी होती। और भारी वजन उठाने से मना किया जाता है।
5. स्वस्थ आहार खाने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कब्ज की संभावना कम हो जाती है और बवासीर से बचा जा सकता है।
6.आहार में फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज भरपूर मात्रा में होना चाहिए। अपने आहार में फाइबर युक्त खद्या पदार्थ शामिल करना जरुरी है।
7. तनाव को कम करें।
8. गुदा के असा-पास सफाई रखे और सूखा रखें।
9. ठंडी सिकाई करें।
10. शराब और चाय का सेवन कम करें।
11. लंबे समय तक बैठने से बचें।
12. क्रीम या मलहम का इस्तेमाल करें।
महिलाओं में बवासीर के लिए आहार में परिवर्तन:-
बवासीर से पीड़ित महिलाओं के लिए उच्च फाइबर वाला आहार फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि यह कब्ज को रोकने और नियमित मल त्याग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।आहार फाइबर के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं_
1. सेब, नाशपाती, जामुन और आलूबुखारा जैसे फल ।
2. सब्जियाँ, जिनमें ब्रोकोली, गाजर, पत्तेदार साग, और शकरकंद आदि शामिल हैं।
3. साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओटमील, साबुत गेहूं की रोटी और साबुत अनाज पास्ता विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।
4. फलियां जैसे सेम, दाल और चना फाइबर से भरपूर होते हैं।
5.फाइबर के अलावा, भरपूर मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है। प्रोसेस्ड फूड, तले हुए खाद्य पदार्थ और मसालेदार भोजन से परहेज करने से भी बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। आप बवासीर के लिए आहार के बारे में अधिक जानकारी हिंदी में बेस्ट और वर्स्ट फूड फॉर पाइल्स में पढ़ सकते हैं।