चेचक रोग क्या है ? इसको (छोटी माता) या (बड़ी माता)भी कहते है ?
चेचक का रोग एक बहुत पुराना रोग है। चेचक के रोग में पहले बुखार होता है। और बाद में पुरे शरीर पर लाल दाने निकलते है। ये दाने 2 से 3 दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते है। और 4 से 5 दिन में इन दानों में से पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है। चेचक में बुखार और जलन के कारण रोगी को काफी बैचेनी होती है इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन तक लग जाते है। इस रोग से व्यक्ति को अपने आपको बचा के रखना चाहिए। यह एक संक्रमक रोग है। अगर घर में किसी एक व्यक्ति को हो जाता है। तो और सभी लोगो को रोगी व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। खास कर छोटे बच्चों को कोई भी बीमार जल्दी पकड़ लेती है। चेचक रोग घर में किसी एक व्यक्ति को होने पर फिर सभी लोगो को बचके रहना चाहिए। और चेचक से रोगी व्यक्ति को एक अलग कमरे में रखना चाहिए। और रोगी व्यक्ति के कपड़े भी सब से अलग रखने चाहिए। इस बीमारी के कारण रोगी को कमजोरी तो आती ही है। साथ ही बुखार भी होता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक रोगी से दूसरे व्यक्ति को हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है। कि जब भी चेचक जैसी बीमारी हो तो समय पर ध्यान दें और तुरंत चेचक का घरेलू इलाज कर बीमारी पर नियंत्रण पाएं। आइए जानते हैं। कि आप चेचक का उपचार करने के लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय कर सकते हैं।
चेचक रोग के कारण:-
चेचक के रोग को घरेलु भाषा में छोटी माता या बड़ी माता भी कहते है। यह रोग अक्सर उन बच्चों को होता है जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी होती है तथा उनकी उम्र 2 से 4 साल तक की होती है। कभी-कभी यह औरतों और बड़ों में भी हो जाता है। इस रोग को फैलने का कारण जीवाणु है। इसके जीवाणु थूक द्वारा भी फैलते है। मलमूत्र और नाखूनों में पाये जाते है। छोटे – छोटे जीवाणु हवा में घुल जाते है। और जब हम सांस लेते उस समय ये जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते है।
चेचक रोग के लक्षण:-
- चेचक होने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
- चेचक होने पर रोगी को तेज़ बुख़ार भी होता है।
- रोगी व्यक्ति को बेचैनी होने लगती है।
- और उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है और पुरे शरीर में दर्द होने लगता है।
- दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और पुरे शरीर में दर्द होने लगता है।
- 2 से 3 दिन बाद बुख़ार तेज़ होने लगता है। उस के बाद शरीर पर लाल-लाल दाने निकलने लगते है।
- दानों में से पानी जैसी मवाद निकलने लगती है। और 7 दिनों में दाने पकने लगते है। जोकि धीरे-धीरे सूखने लगते है।
- कुछ दिनों बाद पपड़ी उतर जाती है। और शरीर पर निशान रह जाते है।
- रोगी व्यक्ति को कमजोरी महसूस होने लगती है।
चेचक रोग में खाने-पान और परहेज:-
- चेचक के रोगी को दूध, मूंग की दाल,रोटी और हरी सब्जियां खाने में देनी चाहिए। इस रोग के कारण उस में जो भी कमजोरी आई थी। वो सारी कमजोरी दूर हो जाएगी।
- रोगी व्यक्ति को मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनको जूस पिलाना चाहिए।
- चेचक के रोगी के पास घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी में छोंक नहीं लगाना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को तली हुई चीजों से परहेज करना चाहिए। जैसे लाल मिर्च, मसलों वाली सब्जी, फ्रिज की ज्यादा ठंड़ी चीज नहीं देनी चाहिए रोगी को और ज्यादा गर्म चीज नहीं देनी चाहिए।
- दरवाजे पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
चेचक रोग के घरेलु उपाय:-
- गूलर की जड़ का 10 से 20 मि.ली रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर खाने से रोगी व्यक्ति को आराम मिलता है।
- करेले के पत्तों का रस व् हल्दी मिलाकर पीने से चेचक के रोग में फायदा होता है।
चेचक का इलाज:-
- नीम की छाल: नीम की छाल को पानी में पीसकर चेचक के दानों पर लगाने से आराम आता है।
- नीम का तेल: नीम के तेल में आक के पत्तों का रस मिलाकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है
- 10 ग्राम नीम के मिश्रण और और कालीमिर्च का चूर्ण रोजाना सुबह कुछ दिन तक सेवन करने से चेचक के दानों में लाभ मिलता है।
- जीरा: 100 ग्राम कच्चा धनिया और 50 जीरा को पूरी रात पानी में भीगने के लिए रख दे। फिर दोनों को पानी में अच्छे से मिला ले। और इस पानी को छानकर बोतल में भर ले। चेचक के रोग में व्यक्ति को बार-बार प्यास लगने पर यही पानी पिलाने से लाभ होता है।
- शहद: चेचक के रोगी में रोगी को शहद से लाभ मिलता है।
- चेचक के रोग में चमेली के 15 से 20 फूलों को पीसकर लेप करने से रोगी व्यक्ति को लाभ मिलता है।
- नारियल : लगभग 500 ग्राम केसर को नारियल के पानी के साथ रोजाना 2 बार रोगी को पिलाने से चेचक के दाने जल्दी ही और आसानी से बाहर आ जाते है।
- नारियल के तेल में कपूर को मिलाकर लगाने से चेचक के दाग मिट जाते है।
- चेचक को ठीक होने पर कितना समय लगता है। जब कोई रोगी विषाणु से ग्रस्त होता है। तो उसे यह बीमारी हो जाती है। चेचक का घरेलू उपचार करते समय आपको बीमारी के ठीक होने के समय तक बनाए रहना है क्योंकि चेचक रोग का विषाणु के शरीर में जाने से 14-16 दिन का माना जाता है। वैसे यह 10-21 दिन का भी हो सकता है। यह आमतौर पर 5-10 दिनों तक रहता है।
- रोगी का बिस्तर, कपड़ा, तौलिया आदि सभी कुछ साफ-सुथरा, और अलग हो।
- रोगी के कपड़े और तौलिये आदि को रोज नीम के पानी, अथवा डिटॉल मिले पानी से धोएं।
- यदि छोटे बच्चों को चेचक हो, तो उसके हाथों में कपड़ा बांध दें, ताकि वह अपने शरीर को खुजला ना सके।
- रोगी को घी और तेल युक्त खाना नहीं दें।
- यदि छोटे बच्चों को चेचक हो, तो उसके हाथों में कपड़ा बांध दें, ताकि वह अपने शरीर को खुजला ना सके।
- गला बैठ जाना।
- नाक बहना।