Homeअन्य बीमारीटेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ?

टेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ?

टेटनस रोग क्या है? यह रोग कैसे फैलता है ?

टेटनस रोग मनुष्य के लिए एक बहुत ही भयानक रोग है। यह रोग मनुष्य मे जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। टेटनस रोग का जीवाणु मिट्टी और धूलकणों मे पाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर रोगी की तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करता है। यह रोग तब फैलता है। जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है और घाव के माध्यम से टेटनस रोग का जीविणु शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण यह रोग हो जाता है। टेटनस रोग होने पर रोगी को साँस लेने मे कठिनाई होती है। और रोगी की मांसपेशियों मे दर्द होने लगता है। टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण होता है। यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाता है। और पुरे शरीर मे फैल जाता है। और रोगी के शरीर मे मांसपेसियों के दर्द का कारण बन जाता है। टेटनस रोग से बचने के लिए रोगी को अपनी त्वचा के घाव को अच्छी प्रकार से साफ करके,घाव पर दवा का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों में टेटनस रोग को रोकने के लिए डीटीएपी, डीटी का टिका लगाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर ,तुरंत इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु रोगी के पूरे शरीर मे बहुत तेजी से फैल जाते है। यह रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टिटनेस रोग होने के क्या कारण हैं?

टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण फैलता है। टेटनस रोग का जीवाणु मिट्टी , धूलकणों और पशुओं मलमूत्र में पाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

  • टेटनस रोग मुख्य रूप से निम्न कारणो से होता है:-
  • मनुष्य को गहरी चोट और त्वचा के कट जाने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य की त्वचा जलने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को पशुओं के काटने से होने वाला घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को डॉक्टर के द्वारा किसी दूषित सुई का प्रयोग करने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • रोगी के घाव पर किसी प्रकार का संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • रोगी व्यक्ति के किसी ऑपरेशन के घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को कान मे संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य के पैरों पर होने वाले फोड़े के संक्रमण के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को बंदूक की गोली के घाव के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • नवजात शिशुओ मे नाल संक्रमण के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य की त्वचा पर किसी प्रकार का टैटू बनाने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • किसी प्रकार का ड्रग्स इन्जेक्शन के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य को पशुओं के काटने के कारण टेटनस रोग हो जाता है। ।
  • मनुष्य के दांतों में संक्रमण होने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।
  • मनुष्य को किसी कीड़े के काटने के कारण टेटनस रोग हो जाता है।

टेटनस रोग होने पर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • टेटनस रोग होने पर बहुत से लक्षण दिखाई देते है:-
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के मासपेशियों मे अकड़न और दर्द होने लगता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी को सांस लेने मे कठिनाई होती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी का रक्त चाप बढ़ जाता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी को बुखार हो जाता है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के पेट की मांसपेसियों में अकड़न होती है।
  • टेटनस रोग होने पर रोगी के जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों मे दर्द होने लगता है।

टिटनेस कैसे फैलता है?

टेटनस रोग क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण फैलता है। यह रोग मनुष्य के शरीर पर हुए संक्रमण के द्वारा शरीर के अंदर चला जाता है। और फिर यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाता है। और पुरे शरीर मे फैल जाता है। और रोगी के शरीर मे मांसपेसियों के दर्द का कारण बन जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टिटनेस रोग के लिए टीकाकरण:-

सभी लोगो को टेटनस रोग से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाता है। टेटनस रोग से बचने के लिए बच्चों को बचपन मे ही टीके लगाए जाते है। किसी भी व्यक्ति को कोई अन्य बीमारी होने पर भी टेटनस रोग का टिका लगाया जाता है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टेटनस रोग के बचाव के लिए चार प्रकार के टीके लगाये जाते है:-

  1. डिप्थीरिया और टिटनेस (डीटी) टीकाकरण
  2. टिटनेस और डिप्थीरिया (टीडी) टीकाकरण
  3. डिप्थीरिया, टिटनेस, और पर्टुसिस (डीटीएपी) टीकाकरण
  4. टिटनेस, डिप्थीरिया, और पर्टुसिस (टीडीएपी) टीकाकरण

टिटनेस रोग का उपचार किस प्रकार से किया जाता है ?

टेटनस रोग हो जाने पर इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु रोगी के पूरे शरीर मे बहुत तेजी से फैल जाते है। यह रोग मनुष्य के शरीर पर हुए संक्रमण के द्वारा शरीर के अंदर चलें जाते है। और फिर यह जीविणु मनुष्य के खून मे मिल जाते है। टेटनस रोग हो जाने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

टेटनस रोग का उपचार निम्न प्रकार से किया जाता है:-

  1. टेटनस टीकाकरण के द्वारा:-
    टेटनस रोग हो जाने पर इसके इलाज के लिए टीकाकरण किया जाता है।
    टेटनस संक्रमण को रोकने के टेटनस टीकाकरण किया जाता है।
    टेटनस रोग से बचने के लिए बच्चों को तीन शॉट के रूप में 2 महीने, 4, 6, 15, 18 महीने और 4-6 साल की उम्र तक दी जाती है।
    टेटनस रोग का टिका 10 वर्ष तक प्रभावी होती है। टेटनस रोग से बचने के लिए 10 वर्ष बाद एक टिका अवश्य लगवा लेना चाहिए।
    किसी व्यक्ति को चोट लगने की स्थिति मे टेटनस का टीका पहले भी लगवाया जा सकता है। प्रत्येक गर्भवती महिला को 3 महीने के दौरान टीडीएपी वैक्सीन लगायी जाती है.
  2. दवाओं के द्वारा उपचार:-
    टेटनस रोग से बचने के लिए डॉक्टर के द्वारा एंटीबायोटिक खाने की दवा या इंजेक्शन लगाया जाता है
    मांसपेशियों मे दर्द को रोकने के लिए डॉक्टर सेडेटिव दवा देते है।
  3. सर्जरी के द्वारा उपचार:-
    अगर रोगी के घाव मे बैक्टीरिया मौजूद है। तो संक्रमित टिश्यू को हटाने के लिए डॉक्टर के द्वारा सर्जरी भी की जा सकती है।
  4. घरेलू उपचार:-
    रोगी के घावों की देखभाल अच्छे तरीके से करनी चाहिए। ताकि बैक्टीरिया के संक्रमण से बचा जा सकें।
    रोगी के घावों को साफ रखे। और घावों पर डॉक्टर के द्वारा दी गई क्रीम का इस्तेमाल करें।
    रोगी के घावों को बैक्टीरिया से बचाने के लिए घावों को पट्टी से ढ़क दें।
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